Incest Kahani परिवार(दि फैमिली) - Page 12 - SexBaba
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Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)

"नालायक इधर क्या देख रहे हो। यह लो गरम दूध, तुम तो बिलकुल ही बेशर्म हो गये हो। अपनी मामी की चुचियों के पीछे पड़ गए हो । अगर तुम्हें इनका दूध पीना है तो अपनी माँ से कहकर शादी कर ले और अपनी बीवी की चुचियों का दूध पी" रेखा ने नरेश को अपनी चुचियों की तरफ देखता हुआ पाकर गुस्से से कहा ।
"मामी आपकी यह हैं ही ऐसी के कोई भी देखकर इनका दीवाना हो जायेगा" नरेश ने अपनी मामी के हाथ से दूध का ग्लॉस लेते हुए उसकी चुचियों की तारीफ करते हुए कहा।
"शटअप मैं सब जानती हूँ यह झूठी तारीफ करके तुम आजकल की छोरियों को फँसा सकते हो हमें नही" रेखा ने ग्लास के दूध पीते ही उसके हाथ से गिलास लेते हुए कहा।

"मामी आपको क्या पता की आजकल की लड़कियाँ तारीफ सुनकर पट जाती हें?" नरेश ने अपनी मामी से पूछा।
"क्यों बेटा हमने अपनी सारी उम्र ऐसे ही नहीं बिता दी। हमें पता है की तुम लड़के छोरियों को फ़साने के लिए उनकी झूठमूठ की तारीफ कर देते हो और वह भी खुश होकर अपना सब कुछ तुम पर निवछावर कर देती हैं" रेखा ने अपने भांजे को जवाब देते हुए कहा और नीचे बैठकर आटे को थाल में डालकर गूंथने लगी।

रेखा के आटे को गूंथने से उसकी साड़ी का पल्लु फिर से उसकी चुचियों से हट गया। मगर उसका ख़याल वहां नहीं था इसीलिए वह आटे को गूंथने में ही मसरुफ रही । नरेश जो कुर्सी पर बैठा था अपनी मामी की चुचियों से पल्लु के हट जाने से अपनी आखों को वहीँ पर जमा लिया ।
रेखा के नीचे बैठने से और आटे को ज़ोर लगाकर गूंथने की वजह से नरेश को उसकी चुचियां तकरीबन ८०% तक नज़र आने लगी । नरेश का लंड इतना तन चूका था की उसे अपने लंड में फिर से दर्द होने लगा।

नरेश का हाथ अपने आप अपनी पेण्ट पर चला गया और अपनी मामी की चुचियों को देखते हुए अपने लंड को पेण्ट के ऊपर से ही सहलाने लगा । रेखा ने अचानक जैसे ही अपनी नज़रें उठाये उसने देखा की उसका भान्जा अपने लंड को सहला रहा है और उसकी नज़र सीधे उसकी चुचियों की तरफ है, तभी रेखा को ख़याल आया की उसकी चुचियों से पल्लु हटा हुआ है। इसेलिए उसका भान्जा उसकी तरफ देख कर ठण्डा हो रहा है।
"भान्जे कुछ कण्ट्रोल रख अपने ऊपर अपनी मामी की चुचियों को देखकर अपने लंड को सहलाते हुए शर्म नहीं आती तुझे" रेखा ने अपने पल्लु को बिना सही किये ही नरेश को टोक दिया।
"मामी क्या करों आपकी चुचियां बार बार हमें तंग कर रही हैं कहाँ से कण्ट्रोल करुं" नरेश अचानक अपनी मामी की आवाज़ सुनकर अपने लंड से अपना हाथ हटाते हुए कहा।
 
"बेटे तुम इधर हो?" अचानक मनीषा अपने बेटे को ढूँढ़ते हुए किचन में आ गयी।
रेखा ने अपनी भाभी को आता हुआ देखकर जल्दी से अपनी चुचियों को पल्लु से ढक लिया।
"जी मम्मी मैं इधर हूँ" नरेश ने अपनी माँ को जवाब देते हुए कहा ।
"बेटा हमें बाजार से कुछ ख़रीदना है हमारे साथ चलो" मनीषा ने किचन में आते ही अपने बेटे से कहा उसने गुलाबी रंग की नयी साड़ी पाहन रखी थी वह बिलकुल तैयार होकर आई थी ।
"ठीक है मम्मी हम भी ऐसे ही बैठे थे चलो" अपनी माँ की बात सुनकर नरेश ने उठते हुए उसके साथ जाने के लिए राज़ी होते हुए कहा।

नरेश अपनी माँ के साथ घर से निकलकर बाहर आ गया और बस स्टैंड पर बस का इंतज़ार करने लगे क्योंकी बाजार यहां से काफी दूर था । थोड़ी ही देर में बाजार की तरफ जाने वाली बस आ गयी, नरेश अपनी माँ के साथ जल्दी से बस में चढ गया ।
बस में अंदर आते ही नरेश और उसकी माँ को पता चला की इस बस में चढ़कर उन्होने गलती की है क्योंकी वहां पर बैठना तो छोड़ो। खडे होने की भी बुहत कम जगह थी।
"अरे भाई बुहत भीड़ है यहां" अचानक मनीषा के पीछे से एक शख्स से उससे सटकर खडे होते हुए कहा।

मानिषा को अपनी गांड पर उस शख्स का लंड चुभ रहा था । मनीषा ने आगे होने की कोशिश की मगर भीड इतनी थी की वह थोडा ही आगे होकर फँस गयी। उसके आगे उसका बेटा खडा था, मनीषा के थोडा आगे सरकने से उसकी चुचियां अपने बेटे के सीने में दब गयी ।
मानिषा को लगा की अब वह शख्स उससे दूर हो गया होगा। मगर दो मिनट में ही फिर से मनीषा को अपनी गांड पर कुछ चुभता हुआ महसूस हुआ ।
"बुहत भीड़ है मेंम साहब" मनीषा ने जैसे ही पीछे मुड़कर देखा तो उस काले रंग के शख्स ने अपने दाँत निकालते हुए कहा।

मानिषा को उस शख्स की शक्ल देखते ही बुहत गुस्सा आया मगर वह मजबूर थी। उसने अपना मुँह वापस फेर लिया । नरेश की हालत भी बिगडती जा रही थी वह पहले से अपनी मामी के टॉर्चर से बुहत गरम था और ऊपर से इस भीड में उसके सीने से उसे अपनी माँ की चुचियां दबने से उसकी हालत बिगडने लगी।
मानिषा को अब अपनी गांड के बिलकुल बीच में उस शख्स का लंड धक्के मारते हुआ महसूस होने लगा।मनीषा के होश ही उड़ने लगे वह शख्स जानबूझकर भीड का फायदा उठा रहा था।
 
मानिषा ने सोचा चलो साले को देखती हूँ की इस भारी भीड में और क्या करता है । वह शख्स मनीषा का कोई विरोध न पाकर अपने दोनों हाथों से मनीषा के दोनों चुतडो को पकडते हुए अपने लंड पर दबाने लगा, उस शख्स के ऐसा करने से मनीषा के पूरे जिस्म में एक सुरसुरी दौडने लगी और उसका जिस्म गरम होने लगा।

मानिषा ने अब अपने चूतड़ खुद उस शख्स के लंड पर दबाने शुरू कर दिये । नरेश जो अपनी माँ की चुचियों को अपने सीने पर महसूस करके ठण्डा हो रहा था वह उस शख्स और अपनी माँ का खेल बुहत मज़े से देखने लगा, अपनी सगी माँ को एक गैर मरद के लंड पर अपने चूतडों को दबाते हुए देखकर नरेश का लंड उसकी पेण्ट में उबाल मचाने लगा ।

वह शख्स अचानक थोडा पीछे हट गया। मनीषा के समझ में नहीं आया की वह शख्स क्यों पीछे हट गया है। मगर दुसरे ही पल वह शख्स फिर से मनीषा से सट गया । उस शख्स ने मनीषा के एक हाथ को पकड कर अपने लंड पर रख दिया था । मनीषा अपने हाथ उस शख्स के लंड पर लगते ही कांप उठी। क्योंकी उस शख्स ने अपने लंड को अपनी पेण्ट से बाहर निकालकर बिलकुल नंगा कर दिया था ।

मानिषा ने अपना हाथ जल्दी से उसके लंड से हटा दिया । नरेश अपनी माँ और उस शख्स का सारा खेल देख रहा था। वह उस शख्स की बहादुरी पर हैंरान रह गया, उस शख्स ने इस बार मनीषा की साड़ी को थोडा ऊपर करते हुए अपने लंड को उसकी पेंटी के ऊपर मनीषा की गांड पर रगडने लगा ।
 
मनीषा ने साड़ी के नीचे पेटिकोट नहीं पहना था, उस शख्स का नंगा लंड सीधे अपनी पेंटी से टकराते ही उसको अपने पूरे शरीर में ज़ोर की सिहरन दौडने लगी । मनीषा को भी उस शख्स का लंड अपनी पेंटी पर रगडते हुए बुहत मजा दे रहा था ।
मानिषा को यह पता नहीं था की उस शख्स के साथ होने वाली सारी हरकत उसका बेटा भी देख रहा है । उस शख्स ने अब अपने दोनों हाथों को भी मनीषा की साड़ी के अंदर डाल दिया और उसके चुतडो को जो छोटी सी पेंटी में क़ैद थे अपने हाथों से मसलने लगा।

वह शख्स अपने हाथों से मनीषा के चूतडों को मसलते हुए अपने लंड को उसके चूतडों के बीच हल्के धक्के लगाने लगा । मनीषा को भी मजा आ रहा था इसीलिए वह ज़्यादा से ज़्यादा आगे झुकने की कोशिश कर रही थी ।
"मम्मी क्या हुया" नरेश ने अपनी मम्मी को अपनी तरफ झुकने से मन ही मन में मुस्कुराते हुए कहा।
"बेटा जाने क्यों चक्कर आ रहे हैं" मनीषा ने अपने बेटे के काँधे पर अपना सर रखकर अपने चूतडों को उस शख्स के लंड पर दबाते हुए कहा ।

"मम्मी भीड़ बुहत ज़्यादा है आप ऐसे ही खड़े रहिए मैं आपको गिरने नहीं दूंगा" नरेश ने अपने हाथों को अपनी माँ के पीठ पर रखकर उसकी चुचियों को अपने सीने की तरफ ज़ोर से दबाते हुए कहा ।
उस शख्स से अपने हाथों से मनीषा की पेंटी को भी थोडा नीचे कर दिया । मनीषा को कुछ समझ में नहीं आ रहा था । उसका पूरा जिस्म उस शख्स की हरक़तों से गरम हो चुका था और उसकी साँसें बुहत ज़ोर से चल रही थी । नरेश कुछ ज़्यादा देख नहीं पा रहा था उसे बस इतना पता था की वह शख्स उसकी माँ के चूतड़ो पर अपना लंड दबा रहा है।

वह शख्स अपने नंगे लंड को मनीषा की नंगे चुतडो पर सहलाते हुए उसकी गांड के छेद में ड़ालने की कोशिश करने लगा । मगर वह ऐसा करने में सफल नहीं हो पाया ।
उस शख्स ने अपने लंड को मनीषा के चूतडों से हटाते हुए अपनी ऊँगली से मनीषा को गांड से लेकर उसकी चूत तक सहलाने लगा । मनीषा की चूत पहले से ही बुहत गरम थी। उस शख्स की ऊँगली के लगते ही उसकी चूत से ज़्यादा पानी टपकने लगा ।

उस शख्स ने मनीषा का हाथ फिर से पकडते हुए अपने लंड पर रख दिया और अपनी ऊँगली से उसकी चूत को सहलाने लगा । मनीषा का हाथ उस शख्स के लंड पर पड़ते ही अपने आप उस पर आगे पीछे होने लगा ।
मानिषा को उस शख्स के तने हुए गरम लंड पर अपने हाथ के लगते ही जाने क्या हो गया उसकी साँसें बुहत ज़ोर से चलने लगी और उसका हाथ उस शख्स के लंड पर ज़ोर से चलने लगा। नरेश का लंड अपनी माँ का हाथ उस शख्स की पेण्ट तरफ जाता हुआ देखकर बुहत ज़ोर से अकड़कर झटके मारने लगा।
 
उस शख्स ने अपनी ऊँगली से मनीषा की चूत को सहलाते हुए उसकी चूत में अपनी ऊँगली को अंदर डाल दिया । मनीषा उस शख्स की ऊँगली को अपनी चूत में जाते ही अपनी सिसकी को अपने मूह में ही दबा दिया ।
मानिषा अपने हाथ से उस शख्स के लंड को ज़ोर से सहलाने लगी । कुछ देर तक दोनों का यह खेल चलते रहा और अचानक मनीषा का जिस्म अकडने लगा
उसकी चुचियों के दाने इतने सख्त हो गये की नरेश को अपनी माँ की चुचियों के दाने अपने सीने में चुभते हुए महसूस होने लगे ।

मानिषा की चूत झटके खाते हुए उस शख्स की ऊँगली पर पानी छोड़ने लगी, मनीषा ने झरते हुए अपना पूरा वज़न अपने बेटे पर डाल दिया और अपने हाथ को बुहत ज़ोर से उस शख्स के लंड पर दबाते हुए मज़े से अपने होंठ अपने बेटे के काँधे पर दबा दिया ।

वह शख्स भी मनीषा के हाथ की गर्मी बर्दाशत न कर सका और अपनी ऑंखें बंद करके झरने लगा । नरेश अपनी माँ का वजन अपने ऊपर पड़ते ही अपने हाथ से उसकी पीठ को सहलाने लगा। नरेश उस शख्स के चेहरे को देखकर समझ गया की वह झड़ गया है।

मानिषा का हाथ उस शख्स के झरने से उसके वीर्य से गन्दा हो गया। जिसे उसने अपनी साड़ी से साफ़ करते हुए सीधा हो गई । मनीषा जैसे ही सीधा हुयी उसे बुहत ज़ोर का झटका लगा क्योंके सीधा होते ही उसको अपने बेटे का लंड अपने पेट पर टकराता हुआ महसूस हुआ ।
नरेश का क़द बुहत लम्बा था जिस वजह से उसकी पेण्ट में बना हुआ लंड का उभार मनीषा के पेट पर रगड रहा था । मनीषा ने अपने बेटे के लंड पर बिना धयान दिए ही अपनी पेंटी को खींचकर ऊपर कर दिया।

अपना लंड अपनी माँ के पेट पर लगते ही नरेश के पूरे शरीर में झुरझुरी दौड़ गयी । नरेश ने अपनी माँ को पेंटी ऊपर करते हुए देख लिया, उसका लंड यह सोचकर बुहत ज़ोर से अकडकर झटके मारने लगा की उसकी माँ जब उस शख्स के लंड पर अपने चूतड़ रगड रही थी तो वह बिलकुल नंगी थी ।
नरेश अब जानबूझकर अपने लंड को आगे करते हुए अपनी माँ के पेट पर रगडने लगा।
"ये क्या लग रहा है मुझे पेट पर" मनीषा ने अपने हाथ से अपने पेट के ऊपर लगते हुए अपने बेटे के लंड को सहलाते हुए कहा।
 
"हाहहह मम्मी बुहत भीड़ है इसीलिए हमारा वह आपके पेट पर लग रहा है" नरेश ने अपनी माँ का हाथ अपने लंड पर लगने से सिसकते हुए कहा । मनीषा का पूरा जिस्म पेण्ट के ऊपर से ही अपने बेटे के लंड को हाथ लगाने से सिहर उठा ।
मानिषा मन ही मन में सोचने लगी उसका बेटे का लंड तो बुहत तगडा लगता है।
"ओह बेटे मुझे तो पता ही नहीं था की मेरा बेटा भी जवान हो गया है" मनीषा ने अपने बेटे के लंड को यों ही पेण्ट के ऊपर से टटोलते हुए कहा ।

"हाहहह मम्मी आपके जिस्म की गर्मी की वजह से यह उठ गया है" नरेश ने अपनी माँ के नरम हाथों को अपने लंड पर महसूस करते हुए मज़े से सिसकते हुए कहा।
"बेटे तुम्हारा तो बुहत बदमाश है अपनी माँ के जिस्म को देखकर उठ गया है" मनीषा ने अपने बेटे की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए कहा ।
"माँ इस में इसका कोई क़सूर नहीं वह मैं आपको उस शख्स के साथ कब से देख रहा था। इसीलिए यह बेचारा फडक रहा है" नरेश ने अपनी माँ को सीधे सीधे कह दिया । मनीषा के चेहरे से अपने बेटे की बात सुनकर पसीना बहने लगा।

"अरे माँ हम किसी को नहीं बतायेंगे हम अपनी माँ की मजबूरी समझ सकते है" नरेश ने अपनी माँ के चेहरे से अपने हाथ से पसीना पोछते हुए अपनी उँगलियों को उसके गुलाबी लबों पर फिराते हुए कहा ।
"नरेश वह हम बहक गए थे मगर में तुम्हारी माँ हूँ" मनीषा ने गुस्सा करते हुए अपने बेटे के हाथ को अपने चेहरे से हटाते हुए कहा।
"माँ जब आप इतना बहक सकती हो की अपने बेटे के सामने किसी और के साथ यह सब कर लो तो मेरा क्या क़सूर" नरेश ने अपनी माँ की नंगी कमर को अपने हाथों से पकडकर अपनी तरफ खीचते हुए कहा ।

"हाहहह बेटा प्लीज ऐसा मत करो" अपने बेटे का हाथ अपनी नंगी कमर में ड़ालने और उसका लंड अपने पेट पर रगडने से मनीषा ने सिसकते हुए कहा।
"मम्मी मुझे माफ़ कर देना मगर मैं इस वक्त अपने होश में नहीं हूँ" नरेश ने अपनी माँ की कमर से लेकर अपने हाथ को उसके चिकने पेट पर फिरते हुए कहा ।
"ओहहह बेटा क्या कर रहे हो" मनीषा ने सिसकते हुए अपने बेटे से कहा, उसका पूरा जिस्म अपने बेटे का हाथ अपने नंगे पेट पर महसूस होते ही गर्म होने लगा।

"माँ आप ने जैसे उस शख्स को शांत कर दिया प्लीज मुझे भी कर दो वरना मैं मर जाऊँगा" नरेश ने अपनी पेण्ट की ज़िप खोलते हुए अपने अंडरवियर से अपना खडा लंड निकालते हुए कहा ।
 
"बेटे यह सब पाप है" मनीषा की साँसें अपने बेटे का लंड देखकर अटकने लगी, ज़्यादा चिपके होने कारण नरेश का नंगा लंड उसके नंगे पेट पर ठोकरे मारने लगा। जिस कारण मनीषा ने भी गरम होते हुए अपने बेटे के लंड को अपने हाथ से पकडकर बुहत तेज़ साँसें लेते हुए कहा । नरेश का लंड अपनी माँ के नरम हाथ पड़ते ही ज़्यादा तनकर फूलने लगा ।

"आह्ह मम्मी आपका हाथ कितना नरम है" नरेश ने अपनी माँ का हाथ अपने लंड पर पड़ते ही सिसकते हुए कहा और अपने हाथ से अपनी माँ की साड़ी का पल्लु उसकी चुचियों से नीचे गिरा दिया ।
मानिषा का पल्लु नीचे गिरते ही उसके ब्लाउज में क़ैद चुचीयाँ आधि नंगी होकर उसके बेटे के सामने आ गयी ।मनीषा की साँसें बुहत तेज़ चल रही थी। जिस वजह से उसकी चुचियां भी बुहत ज़ोर से ऊपर नीचे हो रही थी, नरेश ने अपनी माँ की आधि नंगी चुचियों को देखते हुए अपने होठ उसके चुचियों के उपरी उभार पर रख दिये।

"आह्ह्ह्ह हहह बेटे" मनीषा ने अपने बेटे के होंठ अपनी चुचियों पर पड़ते ही धीरे से सिसकते हुए कहा और उसका हाथ अपने बेटे के तने हुए गरम लंड पर बुहत ज़ोर से चलने लगा । नरेश किसी भी वक्त झर सकता था। क्योंकी वह इतनी देर से सबकुछ देखकर बुहत ज़्यादा उतेजित हो चुका था, मनीषा भी अपने बेटे के गरम मोटे और लम्बे लंड पर हाथ पड़ने से बुहत ज़्यादा एक्साईटेड हो गई थी और उसकी चूत से भी पानी टपकने लगा था । मनीषा अपना दूसरा हाथ अपने बेटे के बालों में डालकर उसके बालों को सहलाते हुए अपनी चुचियों पर दबाने लगी ।

मानिषा अपनी आँखें बंद करके एक हाथ से अपने बेटे के बालों और दुसरे हाथ से उसके लंड को सहलाने लगी।
"आह्ह मम्मी मैं झरने वाला हूँ" नरेश ने धीमी आवज़ में अपनी माँ से कहा और उसके लंड से वीर्य निकलने लगा ।
मानिषा ने अपने दुसरे हाथ को भी अपने बेटे के बालों से निकालते हुए अपने बेटे के लंड के सामने कर दिया ताकी उसके बेटे के लंड से निकालते हुए वीर्य से उसकी साड़ी ख़राब न हो । नरेश के लंड से कुछ देर तक वीर्य की पिचकारी निकलने के बाद उसका लंड मुरझाते हुए ढीला हो गया।

मानिषा ने अपने बेटे के लंड को छोडते हुए अपनी पर्स से रुमाल निकालते हुए अपने हाथ को साफ़ कर दिया। मनीषा जानती थी की अगर इस बार उसने अपनी साड़ी से हाथ साफ़ किया तो उसकी साड़ी पर बुहत ज़्यादा दाग हो जाएंगे ।
नरेश झरने के बाद शांत होकर सीधा हो गया तभी बस रुक गयी और उस स्टॉप तक आने वाले लोग उतरने लगे । मनीषा और नरेश को भी उसी स्टॉप पर उतरना था तो मनीषा ने अपनी साड़ी को ठीक कर दिया और नरेश ने अपनी पेण्ट की ज़िप बंद कर लिया, दोनों माँ बेटे एक साथ नीचे उतरने लगे ।
 
बेटे तुम्हारे लिए जल्दी से कोई लड़की देखनी पडेगी। आज हमें पता चल गया की तुम बिलकुल जवान हो चुके हो" मनीषा ने बस से उतरने के बाद अपने बेटे के साथ एक अंडरगारर्मेन्टस की दूकान में दाखिल होते हुए कहा ।

"मम्मी हमें माफ़ कर दो हम आपको उस शख्स के साथ देखकर अपना कण्ट्रोल खो बैठे थे" नरेश ने शरमिंदा होते हुए कहा ।
"बेटे तुम्हारा कोई क़सूर नहीं हम ही बहक गए थे तो तुम्हारा क्या क़सूर, वैसे जिस लड़की के साथ तुम शादी करोगे वह दुनिया की ख़ुशनसीब लड़की होगी" मनीषा ने अपने बेटे के गाल की चिकोटी लेते हुए कहा।

"क्या चाहिए मेंम साहब" जिस दूकान में वह दाखिल हुए थे उस में से एक ख़ूबसूरत लड़की ने मनीषा की तरफ देखते हुए पूछा।
मानिषा ने उस लड़की से अपने लिए कुछ पेंटी और ब्रा लाने को कहा ।
मानिषा की बात सुनकर वह लड़की ढेर सारी अलग अलग किसम की ब्रा और पेंटी निकालकर मनीषा के सामने रख दी ।
"नरेश देखो इन में से तुम्हें कौन सा रंग पसंद है" मनीषा ने कुछ पेन्टियां अपने बेटे को दीखाते हुए पुछा ।

अपनी माँ को ऐसे पेंटी दीखाते हुए नरेश का लंड अकडकर उसकी पेण्ट में झटके मारने लगा और उसका गला ख़ुश्क होने लगा।
"नरेश बताओ न क्या हुआ तुम्हें" मनीषा ने अपने बेटे को खामोश देखकर फिर से कहा ।
"जी मुझे वह दोनों रंग पसंद है" नरेश ने अपनी मम्मी की बात सुनकर अपने गले से थूक को निगलते हुए ब्लैक और पिंक पेंटी की तरफ इशारा करते हुए कहा।
मानिषा ने अपने बेटे की बात सुनकर उसकी पसंद वाली पेंटी ब्रा समेत कुछ और भी चीजे खरीद कर ली।

मानिषा ने अपने लिए पेंटी और ब्रा ख़रीदने के बाद उस लड़की से अपने बेटे के लिए अंडरवियर देने को कहा।वह लड़की मनीषा की बात सुनते ही ढेर सारे अंडेरवियर्स निकाल लाई और नरेश की तरफ देखते हुए कहा।
"सर आप चेंजिंग रूम में जाकर ट्राई कर सकते हो"।
नरेश उस लड़की की बात सुनकर वहां से दो तीन अंडेरबियर्स उठाकर चेंजिंग रूम में जाकर ट्राई करने लगा। मगर सभी अंडरबीयर्स उसे छोटे और टाइट लगे।
"यह तो छोटे हे" नरेश ने वापस आते ही अंडरवियर वापस टेबल पर रखते हुए कहा।
 
ए लड़की हमारे बेटे का ज़रा लम्बा है थोरा बड़ा साइज लो" मनीषा ने हँसते हुए उस लड़की से कहा । वह लड़की मनीषा की बात सुनकर हडबडाते हुए वह अंडरवियर उठा लिए और बड़े साइज वाले अंडरबियर्स निकाल लाई।
नरेश की हालत पहले से ख़राब थी ऊपर से अपनी मम्मी के मूह से अपने बारे में ऐसी बात सुनकर उसकी हालत और ज़्यादा खराब होने लगी । नरेश ने वह अंडरबियर्स उठाये और चेंज रूम में चला गया।
"ये साइज सही है" थोडी देर बाद नरेश ने वापस आते हुए कहा।

उस लड़की ने सारा सामन पैक कर दिया । मनीषा ने उस लड़की को पेमेंट दे दी और अपने बेटे के साथ वहां से जाने लगी, वह लड़की दोनों माँ बेटों को जाते हुए गौर से देखते हुए सोच रही थी।
"अजीब लोग हैं माँ बेटे होकर एक साथ अंडरर्गर्मेन्ट्स खरीद कर रहे थे" ।
मानिषा ने कुछ और सामान भी खरीद लिया और वापसी के लिए फिर से बस में चढ़ गए । इस बार बस में भीड़ नहीं था तो दोनों माँ बेटे एक सीट पर जा बैठे।
मानिशा ने सीट पर बैठते ही अपना हाथ अपने बेटे की जाँघ पर रख दिया ।

नरेश का लंड अपनी माँ का हाथ अपनी जांघ पर पड़ते ही फिर से तनने लगा।
"मम्मी आप मेरी शादी के बारे में कुछ कह रही थी, ऐसा क्या है मुझ में जो मुझसे शादी करने वाली लड़की ख़ुशनसीब होगी" नरेश ने अपनी माँ से कहा ।
"अरे बेटा तुम ने यह जो इतना बड़ा पाल रखा है, आजकल हर लड़की को बस लम्बा और मोटा चाहिये" मनीषा ने अपना हाथ अपने बेटे की पेण्ट पर रखते हुए कहा। नरेश का लंड अपनी माँ की बात सुनकर ज़ोर से झटके खाते हुए उसके हाथ को चूमने लगा।

"देख बेटे मेरा हाथ लगते ही यह की फडकने लगा" मनीषा ने अपने हाथ से अपने बेटे के लंड को दबाते हुए कहा।
"आहहह मम्मी दर्द होता है" नरेश ने अपने लंड पर थोडा दबाव पड़ते ही सिसकते हुए कहा ।
"अरे हाँ मैं तो भूल ही गयी इस पर तो तुम्हारी पत्नी का ही हक़ है तुम हमें कहाँ इसे छूने देगा" मनीषा ने अपना हाथ अपने बेटे के लंड से हटाकर मूह बनाते हुए कहा।
"अरे माँ यह क्या कह रही हो हमारे पूरे जिस्म पर तो सिर्फ आप का हक़ है" नरेश ने अपनी माँ का हाथ पकडते हुए कहा ।
 
"तुम मेरा दिल रखने के लिए कह रहे हो" मनीषा ने अपना हाथ अपने बेटे के हाथ में ही रखे हुए कहा।
"सच्ची माँ हमारे जिस्म पर पहले हक़ आपका है क्योंकी आपकी वजह से हम पैदा हुए हैं" नरेश ने अपनी माँ के हाथ को सहलाते हुए कहा ।
"बेटे सच में मुझे खुद पता नहीं की मुझे यह क्या हो गया है। मगर तुम्हारा वह देखकर मुझे कुछ होने लगता है" मनीषा ने शर्मा से अपना सर झुकाते हुए कहा।
"माँ मेरा भी वही हाल है। आपको देखकर ही मेरे इस में हरकत होने लगती है" नरेश ने अपनी माँ का हाथ पकडकर अपनी पेण्ट पर रखते हुए कहा।

"हाहहह बेटा तुम्हारा तो सच में अब भी तना हुआ है" मनीषा अपने हाथ को अपने बेटे की पेण्ट पर लगते ही सिसकते हुए कहा।
"हाँ माँ मुझे खुद पता नहीं की ऐसा क्यों हो रहा है अपनी माँ को देखते ही यह क्यों फडकने लगता है" नरेश ने अपनी माँ का हाथ अपने लंड पर दबाते हुए कहा।
"बेटा इसपर हाथ लगाते ही मुझे यहाँ पर कुछ होने लगता है" मनीषा ने अपना दूसरा हाथ अपनी चूत पर रखते हुए कहा ।

"माँ हमें पता नहीं की यह पाप है या पुण्य पर अब हम से बर्दाशत नहीं होता आप हमें अपनी शरण में ले लो वरना हम यों ही तडपते मर जाएंगे" नरेश अपनी माँ की बात सुनकर अपना दूसरा हाथ उसकी जाँघ पर रखकर जज़्बाती होते हुए कहा ।
तभी बस का स्टोप आ गया और बस रुक गई, दोनों माँ बेटे बस से उतरते हुए घर की तरफ जाने लगे । घर पुहंचकर मनीषा अपने कमरे की तरफ बढ़ने लगी । नरेश भी उसके पीछे पीछे जाने लगा क्योंकी सामान उसके हाथ में था।

"मैं जाऊँ माँ" नरेश ने सामान को बेड पर रखते हुए अपनी माँ से कहा जो अपना मूह दुसरे तरफ किये हुए थी । मनीषा अपने बेटे की बात सुनकर अचानक सीधा होते हुए उसके गले से लग गयी और उसके पूरे चेहरे को प्यार से चूमने लगी।
"नही यह ठीक नहीं है" मनीषा कुछ देर तक अपने बेटे के चेहरे को चूमने के बाद उससे अलग होते हुए बोली ।
"माँ अब बुहत हो चुका जो हो रहा है उसे होने दो । कब तक हम दोनों यों ही तड़पते रहेंगे" नरेश ने अपनी माँ को अपनी बाहों में भरते हुए कहा ।

नरेश के होंठ अपने होंठो पर पड़ते ही मनीषा भूल गयी की वह उसका बेटा है और अपने बेटे के साथ फ्रेंच किस में डूब गई।
"बेटा दरवाज़ा तो बंद कर लो" कुछ मिनटों तक यों ही एक दुसरे के साथ किसेस करते हुए साँसें अटकने के बाद मनीषा ने अपने होठ अपने बेटे से जुदा करके हाफ्ते हुए कहा ।
नरेश का दिल अपनी माँ की बात सुनकर ख़ुशी से नाचने लगा। उसने जल्दी से भागते हुए दरवाज़ा बंद कर दिया और वापस आते हुए अपनी माँ को अपनी बाहों में भरते हुए उसके गुलाबी लबों का रस पीने लगा।
 
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