desiaks
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"देखा।” वह विजयी भाव से बोला “मैंने कहा था न कि तूने भी उसका नाम जरूर सुना होगा। देख, कितना सही कहा था मैंने।"
“विश्वास नहीं होता।"
“क्या विश्वास नहीं होता?"
“य...यही कि आज का यह जानकी लाल अतीत का जानकी है। अगर यह सच है तो उसने वाकई आश्चर्यजनक तरक्की की है। लेकिन...।” सहसा उसे जैसे याद आया। वह तेजी से गोपाल की ओर पलटा “त...तुमने उसे खत्म कर दिया?"
-
“यही तो मैंने बोला।"
“म..मगर क्यों? आखिर क्यों मारा तुमने उसे?"
“नहीं मारता तो वह मुझे मार देता। कमबख्त ने सुपारी लगा दी थी मेरी।"
“तुम्हें कैसे पता कि उससे तुम्हारी सुपारी लगाई थी।"
"जिसे सुपारी दी, वह मेरा चेला था। जेल में कितने ही साल उसने मेरी शार्गिदी की थी। उसने मुझे सब कुछ बता दिया
और सुपारी की सारी रकम मेरे कदमों में रख दी, कहने लगा कि मैं गुरु दक्षिणा समझकर स्वीकार कर लूं।"
“और कोई रास्ता भी तो नहीं था जानकी लाल के पास तुमसे निजात पाने का। पन्द्रह साल से ब्लैकमेलिंग का जहर पीता
आ रहा था वह और आइंदा भी पता नहीं कब तक यह सिलसिला चलने वाला था।"
“इसीलिए तो मैंने उसे मुक्ति दे दी और तेरी मुक्ति का रास्ता मुखर करने यहां आ पहुंचा?”
“म..मेरा यहां का पता तुम्हें किसने दिया?"
"देख लेना, ऐसे ही साबिर का पता लगाता बहुत जल्द उसके सिर पर पहुंच जाऊंगा। मेरे कहर से मेरा कोई भी दुश्मन नहीं बचने वाला। अब समाचार समाप्त हुए। अलविदा मेरे जिगर के टुकड़े।"
उसकी अंगुली ट्रिगर पर कस गई। आंखों में हिंसक चमक कौंध गई।
“ठ...ठहरो।” दास एकाएक सिहरकर जल्दी से बोला “ठहरो। गोली मत चलाना। मैं कहता हूं गोली मत चलाना प्लीज।"
गोपाल ठिठक गया और असमंजस भरे भाव से दास को देखने लगा।
"क्या कहना चाहता है बरसाती मेंढक?" वह उस पर पूर्ववत रिवॉल्वर ताने हुए बोला।
"क्या म..मेरी जानबख्शी का कोई रास्ता नहीं है?"
.
“ओह, तो तू मुझसे सौदा करना चाहता है अपनी जान का सौदा?"
“ऐसा ही समझ लो।"
“एक रास्ता तो है, लेकिन वह तुझे मंजूर नहीं होगा।” गोपाल सोचूपूर्ण भाव से बोला।
“त...तुम रास्ता बताओ।”
“ए..एक हफ्ते के लिए अपनी फुलझड़ी को मेरे हवाले कर दे बस एक हफ्ते के लिए और समझ ले कि तेरी जान बच गई।"
"न...नहीं।" दास का लहजा कंपकंपा गया रोयां-रोयां खडा हो गया।
"क्या नहीं? इससे बढ़िया रास्ता तेरे लिए भला और क्या हो सकता है बासी टिंडे। और फिर मेरे साथ एक हफ्ता रह लेनेभर से तेरी फुलझड़ी कुछ घिस थोड़े ही न जाएगी उसका साइज थोड़े न छोटा हो जाएगा। अगर हो जाए तो कसम से एक करोड का जाना भर दंगा। अब बोल क्या कहता है?"
“श...शर्म कर गोपाल सुगंधा तेरी बेटी जैसी है। अगर तेरी कोई बेटी होती तो आज वह इतनी ही बड़ी होती।"
दास की आंखें एकाएक नफरत से जल उठी थी। वह हिकारत भरे स्वर में बोला।
“लफ्फाजी झाड़ना बंद कर चतुर सुजान। अपनी जान बचाने का तेरे पास यह पहला और आखिरी रास्ता है।"
“म...मैं अपने जीते जी ऐसा कभी नहीं होने दूंगा।” उसके चेहरे पर एकाएक दृढ़ता आई थी। उसका चेहरा सख्त हो गया था “हां, मेरी मौत के बाद तू जो चाहे कर सकता है?"
“इसीलिए तो तुझे मौत की नींद सुलाने जा रहा हूं, ताकि उसके बाद मैं जो चाहे कर सकू, नहीं?” उसने अपना रिवॉल्वर वाला हाथ पुनः ऊंचा किया। उसके चेहरे की नसें तन गईं।
“ग...गोपाल...।” दास का दम खुश्क होने लगा था। उस हत्यारे की आंखों में नाचती अपनी मौत उसे साफ नजर आई
थी “रुक जाओ। गोली मत चलाओ।"
“क्यों?" गोपाल ने तिरछी निगाहों से उसे देखा। रिवॉल्वर वाला हाथ उसने इस बार नीचा नहीं किया था “क्या कोई चॉयस है अभी तेरे पास?”
"ह...है तो सही।"
"क्या ?"
“प...पहले यह रिवॉल्वर तो नीचे करो।"
+
“पहले चायस बता।"
“म...मैं तुम्हें साबिर का पता बता सकता हूं।"
“हुच्च।” तत्काल गोपाल को जोर की हिचकी आई। उसने चिहुंककर दास को देखा और अविश्वास से बोला “क्या कहा
तूने? तू मुझे साबिर का पता बता सकता है?"
"ह...हां।"
"त...तू उसका पता जानता है?”
"ह..हां।"
“मगर तूने तो अभी कहा था कि तू उसका पता नहीं जानता।"
"मैंने झूठ बोला था?"
"क्यों झूठ कहा था? भांजी का हिस्सा खाया था, इसलिए झूठ कहा था ?"
“नहीं, क्योंकि उसने मुझे धमकी दी थी कि अगर मैंने किसी को उसका सच बताया तो वह मुझे गोली मार देगा।"
“समझा।" उसने एक क्षण कुछ सोचा, फिर अपना रिवॉल्वर वाला हाथ नीचे गिरा लिया “कोई बात नहीं, तुझे दी गई अपनी धमकी पूरी करने के लिए वह अब जिंदा नहीं रहने वाला। उसका पता बोल, नाम बदलकर अगर उसने तेरी ही तरह अपना कोई दूसरा फैंसी नाम रख लिया हो तो वह भी बता। उसकी कोई तेरे जैसी फुलझड़ी हो तो फौरन से भी पहले बता। सुना तूने?"
"हां।"
“फिर भी अभी तक ड्रम की तरह लुढ़का बैठा है। बककर नहीं दिया कुछ?”
“विश्वास नहीं होता।"
“क्या विश्वास नहीं होता?"
“य...यही कि आज का यह जानकी लाल अतीत का जानकी है। अगर यह सच है तो उसने वाकई आश्चर्यजनक तरक्की की है। लेकिन...।” सहसा उसे जैसे याद आया। वह तेजी से गोपाल की ओर पलटा “त...तुमने उसे खत्म कर दिया?"
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“यही तो मैंने बोला।"
“म..मगर क्यों? आखिर क्यों मारा तुमने उसे?"
“नहीं मारता तो वह मुझे मार देता। कमबख्त ने सुपारी लगा दी थी मेरी।"
“तुम्हें कैसे पता कि उससे तुम्हारी सुपारी लगाई थी।"
"जिसे सुपारी दी, वह मेरा चेला था। जेल में कितने ही साल उसने मेरी शार्गिदी की थी। उसने मुझे सब कुछ बता दिया
और सुपारी की सारी रकम मेरे कदमों में रख दी, कहने लगा कि मैं गुरु दक्षिणा समझकर स्वीकार कर लूं।"
“और कोई रास्ता भी तो नहीं था जानकी लाल के पास तुमसे निजात पाने का। पन्द्रह साल से ब्लैकमेलिंग का जहर पीता
आ रहा था वह और आइंदा भी पता नहीं कब तक यह सिलसिला चलने वाला था।"
“इसीलिए तो मैंने उसे मुक्ति दे दी और तेरी मुक्ति का रास्ता मुखर करने यहां आ पहुंचा?”
“म..मेरा यहां का पता तुम्हें किसने दिया?"
"देख लेना, ऐसे ही साबिर का पता लगाता बहुत जल्द उसके सिर पर पहुंच जाऊंगा। मेरे कहर से मेरा कोई भी दुश्मन नहीं बचने वाला। अब समाचार समाप्त हुए। अलविदा मेरे जिगर के टुकड़े।"
उसकी अंगुली ट्रिगर पर कस गई। आंखों में हिंसक चमक कौंध गई।
“ठ...ठहरो।” दास एकाएक सिहरकर जल्दी से बोला “ठहरो। गोली मत चलाना। मैं कहता हूं गोली मत चलाना प्लीज।"
गोपाल ठिठक गया और असमंजस भरे भाव से दास को देखने लगा।
"क्या कहना चाहता है बरसाती मेंढक?" वह उस पर पूर्ववत रिवॉल्वर ताने हुए बोला।
"क्या म..मेरी जानबख्शी का कोई रास्ता नहीं है?"
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“ओह, तो तू मुझसे सौदा करना चाहता है अपनी जान का सौदा?"
“ऐसा ही समझ लो।"
“एक रास्ता तो है, लेकिन वह तुझे मंजूर नहीं होगा।” गोपाल सोचूपूर्ण भाव से बोला।
“त...तुम रास्ता बताओ।”
“ए..एक हफ्ते के लिए अपनी फुलझड़ी को मेरे हवाले कर दे बस एक हफ्ते के लिए और समझ ले कि तेरी जान बच गई।"
"न...नहीं।" दास का लहजा कंपकंपा गया रोयां-रोयां खडा हो गया।
"क्या नहीं? इससे बढ़िया रास्ता तेरे लिए भला और क्या हो सकता है बासी टिंडे। और फिर मेरे साथ एक हफ्ता रह लेनेभर से तेरी फुलझड़ी कुछ घिस थोड़े ही न जाएगी उसका साइज थोड़े न छोटा हो जाएगा। अगर हो जाए तो कसम से एक करोड का जाना भर दंगा। अब बोल क्या कहता है?"
“श...शर्म कर गोपाल सुगंधा तेरी बेटी जैसी है। अगर तेरी कोई बेटी होती तो आज वह इतनी ही बड़ी होती।"
दास की आंखें एकाएक नफरत से जल उठी थी। वह हिकारत भरे स्वर में बोला।
“लफ्फाजी झाड़ना बंद कर चतुर सुजान। अपनी जान बचाने का तेरे पास यह पहला और आखिरी रास्ता है।"
“म...मैं अपने जीते जी ऐसा कभी नहीं होने दूंगा।” उसके चेहरे पर एकाएक दृढ़ता आई थी। उसका चेहरा सख्त हो गया था “हां, मेरी मौत के बाद तू जो चाहे कर सकता है?"
“इसीलिए तो तुझे मौत की नींद सुलाने जा रहा हूं, ताकि उसके बाद मैं जो चाहे कर सकू, नहीं?” उसने अपना रिवॉल्वर वाला हाथ पुनः ऊंचा किया। उसके चेहरे की नसें तन गईं।
“ग...गोपाल...।” दास का दम खुश्क होने लगा था। उस हत्यारे की आंखों में नाचती अपनी मौत उसे साफ नजर आई
थी “रुक जाओ। गोली मत चलाओ।"
“क्यों?" गोपाल ने तिरछी निगाहों से उसे देखा। रिवॉल्वर वाला हाथ उसने इस बार नीचा नहीं किया था “क्या कोई चॉयस है अभी तेरे पास?”
"ह...है तो सही।"
"क्या ?"
“प...पहले यह रिवॉल्वर तो नीचे करो।"
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“पहले चायस बता।"
“म...मैं तुम्हें साबिर का पता बता सकता हूं।"
“हुच्च।” तत्काल गोपाल को जोर की हिचकी आई। उसने चिहुंककर दास को देखा और अविश्वास से बोला “क्या कहा
तूने? तू मुझे साबिर का पता बता सकता है?"
"ह...हां।"
"त...तू उसका पता जानता है?”
"ह..हां।"
“मगर तूने तो अभी कहा था कि तू उसका पता नहीं जानता।"
"मैंने झूठ बोला था?"
"क्यों झूठ कहा था? भांजी का हिस्सा खाया था, इसलिए झूठ कहा था ?"
“नहीं, क्योंकि उसने मुझे धमकी दी थी कि अगर मैंने किसी को उसका सच बताया तो वह मुझे गोली मार देगा।"
“समझा।" उसने एक क्षण कुछ सोचा, फिर अपना रिवॉल्वर वाला हाथ नीचे गिरा लिया “कोई बात नहीं, तुझे दी गई अपनी धमकी पूरी करने के लिए वह अब जिंदा नहीं रहने वाला। उसका पता बोल, नाम बदलकर अगर उसने तेरी ही तरह अपना कोई दूसरा फैंसी नाम रख लिया हो तो वह भी बता। उसकी कोई तेरे जैसी फुलझड़ी हो तो फौरन से भी पहले बता। सुना तूने?"
"हां।"
“फिर भी अभी तक ड्रम की तरह लुढ़का बैठा है। बककर नहीं दिया कुछ?”