Thriller Sex Kahani - मिस्टर चैलेंज - Page 11 - SexBaba
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Thriller Sex Kahani - मिस्टर चैलेंज

मैं और मधु चकरा गये । समझ नहीं सके वह क्या कह रही है । एक सैकिण्ड को तो ऐसा लगा जैसे विभा पागल हो गयी हो । वह कहती चली गई ---- " इसी क्रम में मर्डर हो रहे हैं वेद । गौर करो ! चन्द्रमोहन , हिमानी , अल्लारखा और ललिता । "

" सत्या को भूल रही हो तुम । सबसे पहले उसी की हत्या हुई ? "
" और मरने से पहले उसने CHALLENGE लिखा ।
नहीं ---- वह चैलेंज नहीं था । बल्कि अपने हत्यारों के नाम लिखे थे उसने । हर अक्षर से एक नाम शुरू होता है । कुल मिलाकर नौ अक्षर है अर्थात् नौ लोगों ने हत्या की । ये इत्तफाक है वे नौ अक्षर मिलाकर चैलेंज की स्पेलिंग बन गयी । अगर वह चैलेंज लिखना चाहती तो जैसा कि मैंने पहले कहा ---- स्मॉल इंग्लिश लिखना चाहिए था । उस वक्त हमारे दिमाग में सवाल अटका था कि उसने चैलेंज कैपिटल लेटर्स में क्यों लिखा ? जवाब स्पष्ट है ---- उसने चैलेंज नही ----- बल्कि अपने नौ हत्यारों के नाम के पहले लेटर्स लिखे थे । जो वह कहना चाहती थी वह इन्हीं लेटर्स के स्माल इस्तेमाल से नहीं कहा जा सकता था । " हालांकि मुझे उसकी बात जंची लेकिन क्रॉस किया -- " सत्या ही क्यों , हर मरने वाले ने यही लेटर्स लिखे हैं । "

यही ! " एक - एक शब्द पर जोर देती चली गयी विभा ---- " यही भ्रम फैलाना चाहता था हत्यारा । यह कि बाकी सब हत्याएं भी सत्या की हत्या की श्रृंखला हैं । और हम फंसे रहे । अब बात मेरी समझ में आ गयी है । सबसे बड़ी भूल हम अन्य हत्याओं को सत्या की हत्या की श्रृंखला समझकर कर रहे है वेद । हकीकत यह है कि बाकी हत्याएं सत्या की हत्या के बदले में किये मर्डर है । "

" मेरी समझ में नहीं आ रहा तुम कहना क्या चाहती हो ? "
" पहेली हल हो चुकी है दोस्त । इस छोटी सी लड़की की बचकानी हरकत ने मेरे दिमाग में सबकुछ क्लियर कर दिया है । "
उत्साह से भरी बिभा कहती चली गयी ---- " अब पूरा किस्सा सुनो । मुहब्बत करने वालों के बीच अक्सर हर भाषाओं का आविष्कार और चलन प्रचलित हो जाता है । कदाचित वैसा ही सत्या और उसके प्रेमी के बीच हुआ । यकीनन वे एक - दूसरे को लेटर लिखने या किसी भी मैसेज का आदान - प्रदान करने के लिए अंग्रेजी के किसी नाऊन को पूरा लिखने की जगह शब्द का पहला अक्षर लिखने लगे थे । हालांकि सत्या के मर्डर की वजह अभी अज्ञात है । परन्तु ये तय है , जो वह लिख गई वह हम सबके लिए भले ही पहेली थी परन्तु उसके प्रेमी के लिए पहेली नहीं थी । वह उन अक्षरों को देखते ही समझ गया सत्या के हत्यारे कौन हैं ? बस ! उसने रिवेंज लेना शुरू कर दिया । पहले C मरा , फिर H , रात A और L , इस हिसाब से अभी पांच और कत्ल होंगे । और ये पांच कत्ल ये होंगे जिसके नाम LENGE से शुरू होते हैं । " " तुम्हारी थ्योरी दमदार है विभा मगर .... "

मगर .... " कालिज में एक अक्षर के अनेक नाम होते हैं । फॉर एग्जाम्पिल चन्दमोहन था तो चकेश भी है । '
" यह कोई ऐसी बात नहीं , जो सत्या के प्रेमी के लिए दुविद्या का कारण बनी होगी । उसने नौ में से किसी भी एक तो पकड़ा होगा । उसे टार्चर किया होगा । और बाकी आठ के स्पष्ट नाम जान लिए होंगे । "
" ओह ! "
" याद करो .... ललिता ने कहा था — पहने चन्द्रमोहन , उसके बाद हिमानी ! सत्या का नाम नहीं लिया था उसने । यह असामान्य बात मुझे खटकी थी । अब तुम भी समझ सकते हो , उसने ऐसा क्यों कहा ? अपनी तरफ से उसने असामान्य नहीं बल्कि सामान्य और सच्ची बात कही थी । सत्या की हत्या से चन्द्रमोहन , हिमानी और दूसरे लोगों के साथ वह खुद शामिल थी । फिर भला वह कैसे कहती कि सत्या की हत्या किसने की ? उसने उन्हीं का जिक्र किया जो दो हत्याएं खुद उसके लिए रहस्य थीं । और फिर अल्लारखा के बाद उसी हत्यारे द्वारा खुद भी मार डाली गयी ।
 
यानी तुम श्योर हो हत्यारा सत्या का प्रेमी है ? " " और उसका अगला शिकार वह है जिसका नाम L से शुरू होता है । "

" यह तो लविन्द्र भी हो सकता है । मैंने कहा । " ऐसे लोग कालिज में और होंगे जिनके नाम से शुरू होते हो ? "
" लेकिन विभा , भला नौ लोग मिलकर सत्या की हत्या क्यों करेंगे ? चन्द्रमोहन , हिमानी और ललिता के बारे में तो मैं कुछ नहीं कह सकता लेकिन अल्लारखा उन स्टूडेन्टस में से था जो सत्या को बहुत पसन्द करते थे । मुझे नहीं लगता वह सत्या की हत्या में शामिल होगा । "

क्योंकि अभी कारण अज्ञात है इसलिए दावे के साथ कुछ नहीं कहा जा सकता । " विभा कहती चली गई ---- " हत्यारे का अगला शिकार है जिसका नाम L से शुरू होता है और इस अक्षर से शुरू होने वाले जिस शख्स को हम जानते हैं वह लविन्द्र है ।

लविन्द्र के मन में सत्या के लिए जो भावनाएं थीं उनसे तुम वाकिफ हो । उनकी रोशनी में क्या हम कल्पना कर सकते हैं कि लबिन्द्र सत्या के हत्यारों में शामिल होगा ? "

" अगर वह डर , बाजीगर और अंजाम का शाहरुख नहीं है तो हरगिज ना । " मैने कहा ---- " हां , पहेली के हल की रोशनी में इस बात को दूसरे एंगिल से देखा जा सकता है । "

" दूसरा एंगिल ? "
" यदि उसे पता लग जाये कि फला - फलां मी व्यक्ति सत्या के कातिल हैं जो एक एक को चुन - चुनकर मार डालेगा वो। "

" जैसा कि हत्यारा कर रहा है । "

" म - मतलब ? " मैं चौंक पड़ा ।
" तुम्हारे ही शब्दों को आगे बढ़ाया मैंने ---- बाकी लोगों का हत्यारा लबिन्द्र भी हो सकता है । "
" अभी तो तुम कह रही थी ---- हत्यारा सत्या का प्रेमी है । "
" लबिन्द्र प्रेमी नहीं था क्या ? "
" मगर उसने बताया .... " अव दीपा द्वारा प्रस्तुत किये गये विचारों पर गौर करो । " मैरी बात काटकर विभा कहती चली गयी ---- " सत्या के प्रेमी का अस्तित्व हमारे दिमाग में केवल लविन्द्र के बयान से बना है । उसके अलावा ऐसे किसी शख्स के बारे में न कभी किसी ने सुना न देखा । मजे की बात ये है कि लबिन्द्र ने भी केवल कहा है ! यह कि सत्या ने उससे अपने प्रेमी का जिक्र किया था । यह सच ही है .... इस बात का बह कोई प्रमाण पेश नहीं कर सका । "

" मतलब क्या हुआ ? " " लॉकिट को मत भूलो । वह पुख्ता तौर पर लविन्द्र को हत्यारा कहता है । बात को यूं समझो ---- जब तुम उससे मिले और डायरी को देखकर ताड़ गये कि वह सत्या का प्रेमी है तो यह अंदर ही अंदर यह सोचकर घबरा गया कि हालांकि मैं सभी हत्याओं को सत्या की श्रृंखला में होने वाले मर्डर साबित करने का प्रयल कर रहा हूं परन्तु इस केस की इन्वेस्टिगेशन पर निकले इस शख्स को मुमकिन है , किसी स्पॉट पर इल्म हो जाये कि चन्द्रमोहन से शुरू होने वाली हत्याएं सत्या की हत्या का रिवेंज हैं । तो इसका शक सत्या का प्रेमी होने के नाते सीधा मुझ पर जायेगा । ऐसे हालात से बचने के लिए उसने तुमसे बात करते वक्त हाथों हाथ ऐसी कहानी गढ़ दी जिससे तुम्हारे दिमाग में यह बैठ जाये कि वह सत्या से एकतरफा प्रेम करता था , वह कोई और है जिससे सत्या प्यार करती थी । "

" अर्थात् उसकी कहानी झूठी थी ? मेरे दिमाग सत्या का काल्पनिक प्रेमी खड़ा कर दिया था उसने ? "
" क्यों नहीं हो सकता ? "
" बंसल की तिजोरी से निकला कार्ड ? "
" उसी का रक्खा हो सकता है । " विभा की कहानी में कहीं कोई छेद नजर नहीं आया मुझे । सुबूत और हालात चीख - चीखकर लविन्द्र को हत्यारा बता रहे थे । मैं कह उठा ---- " कितनी अजीब बात है ? पहेली का हल बता रहा है कि हत्यारे का अगला शिकार बो है जिसका नाम L से शुरू होता है । वह लविन्द्र भी हो सकता है और लबिन्द्र ही हत्यारा भी लग रहा है हमें । "
 
" मेरे ख्याल से तो आपका केस काफी हद तक हल हो चुका है । " काफी देर से खामोश मधु ने कहा ---- " आगे होने वाली हत्याओं को भी रोक सकते हैं आप । LENGE से शुरू होने वाले नामों वाले व्यक्तियों को पकड़िए । उनसे पूछिए कि सत्या की हत्या क्यों की ? मेरे ख्याल से एक घण्टे में सच्चाई उगल देंगे । "

" मधु ठीक कह रही है । हमें अगला कत्ल होने से पहले कालिज पहुंच जाना चाहिए । "
" देर मैं कहां , तुम कर रहे हो । " विभा ने सोफे से सीधी छलांग बाथरूम के दरवाजे पर लगाई । एक पल के लिए ठिठकी वह । पलटी ! और नजदीक खड़ी खुश्बू को बाहों में भरकर प्यार करती हुई बोली ---- " थैंक्यू मेरी नन्हीं बेटी । थैंक्यू ! तेरी छोटी - सी शरारत ने मेरे दिमाग के सभी खिड़की दरवाजे खोल दिये । "

खुश्बू नहीं समझ पाई उसने कितना बड़ा काम कर दिया है । जो पहेली किसी के सुलझाये न सुलझ रही थी , वह पल भर में सुलझ गयी । खुश्बू को यूं ही खड़ी छोड़कर विभा बाथरूम में समा गयी ।

मैं अपने कमरे के साथ अटैण्ड बाथरूम में पहुंचा । फ्रेश होकर निकला तो विभा को हाल में बैठी पाया । मुझे देखते ही वह खड़ी होती हुई बोली ---- " चलो । " कुछ देर बाद राल्स रॉयल कालिज की तरफ उड़ी चली जा रही थी ।

विभा का शोफर उसे ड्राइव कर रहा था । हम पिछली सीट पर बैठे थे और विभा कह रही थी ---- " अभी हम पहेली का हल किसी को नहीं बतायेंगे । यह रहस्योद्घाटन मैं खुद करूँगी ---- तब जब मुनासिब मौका देखूगी ।

" मेरी तरह शायद उसे भी गुमान न था कि कालिज में दिमाग को चकरा देने वाली एक और दुर्घटना इन्तजार कर रही है ।

राजेश , एकता , रणवीर और रीना आदि का पीरियड केमेस्ट्री के प्रेक्टिकल का था । पढ़ाई तो खैर कहीं कुछ नहीं हो रही है ---- पीरियड्स की औपचारिकता - सी निभाई जा रही थी ।
सब जगह एक ही चर्चा थी ---- अगला नम्बर किसका है ?
कुछ ऐसी ही बातें करते राजेश आदि कैमेस्ट्री लैब में पहुंचे ।

लैब खाली पड़ी थी । जाने क्यों . यहां का वातावरण रहस्यमय सा लगा ।

अन्य स्टूडेन्ट्स भी लैब में आ चुके थे ।

प्रैक्टिकल डेस्को पर अनेक कैमिकल्स रखे थे । हालांकि स्वाभाविक रूप से लैब में उनकी गंध फैली रहती थी । परन्तु इस वक्त स्टूडेन्ट्स एक ऐसी गन्ध भी महसूस कर रहे थे जैसी पहले कभी नहीं की थी । अजीब सी घुटन था उस गंध में ।
" कहां गये लविन्द्र सर ? " एक स्टूडेन्ट के मुँह से वह सवाल निकला जो सबके दिमाग में था ।

दूसरे ने कहा ---- " वे तो हम लोगों से पहले यहां पहुंच जाते थे । "
कोई कुछ नहीं बोला । राजेश ने ऊंची आवाज में पुकारा ---- " आप कहां है सर ? "
किसी तरफ से कोई जवाब नहीं उभरा । लगभग सभी स्टूडेन्ट्स बार - बार लविन्द्र को पुकारने लगे । और फिर , कुछ देर बाद चीखती हुई दीपा ने कहा ---- " धुवाँ ! राजेश , ये धुवां कैसा ? "

सभी उसकी तरफ मुखातिब हुए । बल्कि चारों दिशाओं से लपककर नजदीक आये और जो दीपा दिखाना चाहती थी उसे देखकर दंग रह गये । वह लेबोरेट्री के अंदर यानि टीचर्स रूम था ।

रूम का दरवाजा बाहर से बंद था । फर्श और दरवाजे के बीच वाली दरार से निकलता धुवाँ साफ नजर आ रहा था । हैरानी का कारण वह धुवाँ ही था ।
" अंदर शायद आग लग गया है । " श्वेता के मुंह से निकला । रणवीर ने झपटकर दरवाजा खोला । कमरा धुवें से भरा था।
 
अंदर धुवें का भभका वाहर निकला तो चीखते स्टूडेन्ट्स पीछे हट गये । हालांकि धुवाँ बहुत गाढ़ा नहीं था । परन्तु इतना ज्यादा जरूर था कि पहली नजर में कुछ नजर नहीं आया । न आग न वह स्रोत जहां से धुवाँ निकल रहा था ।

कुछ स्टुडेन्टस डर गये थे । कुछ सहमे हुए थे । अनिष्ट की आशंका से तो लगमग सभी ग्रस्त हो चुके थे । माहौल ही ऐसा था कि जरा सी घटना सबके दिलो - दिमाग को हिला डालती थी ।

धुवाँ लैब में आया तो कमरे का दृश्य धूंधला सा नजर आने लगा । राजेश और उसके साथी हिम्मत करके अंदर घुसे । और उसके बाद तो चीखों का बाजार गर्म हो उठा ।

' लाश - लाश ' चिल्लाते हुए कई स्टूडेन्ट्स कमरे से कूदकर लैब में आये ।

लैब में मौजूद स्टूडेन्ट्स यही शब्द चीखते बाहर की तरफ दौड़े । सारा कालिज लैब और उसके बाहर इकट्ठा हो चुका था और हमारे सामने थी ---- लविन्द्र भूषण की लाश उसे लविन्द्र भूषण की लाश कपड़ों के कारण कह सकते थे । कपड़े भी वे जो जल और गल जाने के कारण पूरी तरह जर जर हो चुके थे । चेहरा पूरी तरह बीभत्स , विकृत और डरावना हो चुका था ।

चेहरा ही क्यों , समूचा जिस्म जल गया था उसका । और वह सब आग में नहीं जला था । लाश एक मेज पर पड़ी थी । पड़ी क्या थी ---- मेज पर बाकायदा बांधा गया था उसे । रेशम की ठीक वैसी ही मजबूत डोरी से जैसी से चिन्नी को बांधा गया था । इस वक्त वह डोरी भी कई जगह से जल और गल जाने के कारण टूट गयी थी ।

लाश का मुंह खुला हुआ था । उसमें ठूंसी ढेर सारी रूई में से इस वक्त धुवां निकल रहा था।

मेज के नीचे प्लास्टिक का एक खाली मग तथा दो बोतलें लुढ़की पड़ी थी । एक बोतल पर चिपके लेवल पर सल्फ्यूरिक एसिड लिखा था , दूसरी पर नाईट्रिक ऐसिड ।

मेंरी खोपड़ी --- यह सोच सोचकर फटी जा रही थी कि जिस केस को हम घर से चलते वक्त हम लगभग हल हुआ समझ रहे थे । उसमें यह नया मोड आने पर आखिर हम खडे कहां है ?

हालाँकी मर्डर , विभा द्वारा व्यक्त की गई संभावना के मुताबिक , L से शुरू होने वाले नाम के व्यक्ति का हुआ था , परन्तु वह शख्स भी तो वही था जिसे मैं हत्यारा मान चुका था । मेरे दिमाग में अनेक सवाल रेंग रहे थे । खुलकर विभा से इसलिए बात नहीं कर सकता था क्योंकि उसने किसी के सामने पहेली के हल की चर्चा करने से इंकार किया था ।

" हत्यारे के हौसले बुलन्द होते जा रहे हैं । " मेज की परिक्रमा सी करती विभा कह उठी ... " यह मर्डर उसने बगैर किसी जल्दबाजी के , तसल्ली से किया है । जैसे जानता हो उसकी कार्यवाई के दरम्यान कोई आने वाला नहीं है ।

उसने चीखने - चिल्लाने का मौका दिये बगैर लविन्द्र को पकड़ा ! मुंह में रूई ठूंसी । रेशम की डोरी की मदद से मेज पर बांधा । लैब से सल्फ्यूरिक एसिड और नाईट्रिक ऐसिड की बोतलें लाया । दोनों को मग्गे में डालकर अम्लराज तैयार किया और इसके सारे जिस्म पर डालकर कमरा बाहर से बंद करने के बाद निकल गया । "

" हौसले बुलन्द क्यों नहीं होंगे हत्यारे के ? रोक कौन पा रहा है उसे ? " बंसल ने एक दीवार की तरफ इशारा किया ---- " ये देखिए ! मरने से पूर्व लबिन्द्र ने भी CHALLENGE लिखा है ।

इस पहेली तक को तो सुलझा नहीं सका कोई । " मेरा जी चाहा ---- चीख - चीखकर बताऊं विभा पहेली को हल कर चुकी है । मगर मैं कुछ न कह सकता था , न विभा ने कहा । मगर , उसके गुलाबी होठो पर हल्की सी मुस्कान जरूर उभरी । बोली ---- " इस वक्त केवल इतना कह सकती हूं ---- हत्यारा हमें किसी भ्रमजाल में फंसाने के लिए मकतूल को मजबूर करके उसके हाथ से यह लफ्ज लिखवाता है । "

" मुझे तो नहीं लगता ऐसा । " राजेश ने कहा ---- " सत्या मैडम ने सबके सामने अपनी मर्जी से ये शब्द लिखा ! कम से कम हमें तो नहीं लगा वे किसी के द्वारा मजबूर की गई थीं । "
 
" बहुत से सवालों के जवाब बिभा के पास हैं राजेश । " मैं खुद को इतना कहने से न रोक सका ---- " मगर वक्त से पहले बताना ठीक नहीं समझती । "
" पता नहीं कब आयेगा वक्त ! " राजेश बड़बड़ाकर चुप हो गया ।
" आयेगा राजेश । तुम जैसे ब्रिलियेन्ट लड़के को निराश नहीं होना चाहिए । " विभा ने कहा ---- " एक हद तक मुजरिम इन्वेस्टिगेटर को जरूर छकाता है मगर हमेशा नहीं छकाता रह सकता ।

इन्वेस्टिगेटर को रास्ते मुजरिम की भूल चूक और गलतियों से मिलते हैं । और हो सकता है जब सारे रहस्य खुलें तो तुम खुद कहो , जो हो रहा था , ठीक हो रहा था । यही होना चाहिए था । "
" य - ये क्या कह रही है आप ? मेरी कुछ समझ में नहीं आया । "
" सारी बातों को अभी समझने की कोशिश मत करो । " राजेश से कहे गये विभा के अंतिम शब्द मेरे लिए भी पहेली बन गये । समझ न सका - आखिर वह कहना क्या चाहती है ?

CHALLENGE वाली पहेलो हल करने के बाद विभा मुझे एक पहेली में तब्दील होती नजर आई । तभी वहां जैकी पहुंच गया । विभा के कहने पर उसे फोन कर दिया गया था ।

कमरे में घुसते ही उस पर भी वही प्रतिक्रिया हुई जो हम पर हुई थी । लाश का निरीक्षण करने के बाद सारे कमरे का निरीक्षण करती उसकी नजर दीवार पर चॉक से लिखे गये अक्षरों पर पड़ी । वह बड़बड़ा उठा ---- " फिर यही चैलेज "

" उतरवाओ इसका फोटो । भेजो एक्सपर्ट के पास । " बंसल ने कहा ---- " इसके अलावा हम कर क्या रहे है ? "
" वाकई । " जैकी का उठा- " बंसल साहब ठीक कह रहे हैं । विभा जी ! ऐसा लगता है जैसे हमारे करने के लिए कुछ रह ही नहीं गया । मैंने लॉकेट के बारे में जितना सोचा , हत्यारा लविन्द्र ही लगा और अब तोहफे की शक्ल में हत्यारे की तरफ से उसी की लाश पेश है । सारे रास्ते पुनः ब्लाक । "
" वंसल साहब ! " विभा ने जैकी की बात पर ध्यान दिये बगैर प्रिंसिपल से कहा ---- " मुझे कॉलिज के एक - एक स्टूडेन्ट , प्रोफेसर्स और अन्य स्टॉफ के नामों की सूची चाहिए । "

" मैं हर चीज देने को तैयार है मगर प्लीज किसी तरह हत्याओं के इस सिलसिले को रोकिए । ये सब होता रहा तो मैं तो शायद हार्ट अटैक से ही मर जाऊंगा । "
" आओ जैकी " कहने के साथ वह कमरे से बाहर निकल गयी ।

पहेली का हल सुनते ही जैकी उछल पड़ा । मुंह से निकला ---- " हद हो गया ! हर लेटर का मतलब अलग था । और हम उन्हें मिलाकर बने शब्द अर्थात चैलेंज पर अटके रहे । हल समझ में आने के बाद आपकी थ्योरी एकदम सही है विभा जी ! कहीं लोच नजर नहीं आ रहा मुझे ।

यकीनन CHALLENGE के जरिए सत्या अपने प्रेमी को अपने कातिलों का नाम बता गयी और उसके बाद हुए सारे मर्डर सत्या की हत्या का रिवेंज है । ये तय है हत्यारा उसका प्रेमी ही है । अब केवल यह पता लगाना रह जाता है कि वह कौन है ? "

" तुम्हारे ख्याल से इन नौ लोगों ने सत्या ही हत्या क्यों की ? "
" आप शायद चन्द्रमोहन की जेब से बरामद खून सने पेपर को भूल रही है । उस वक्त भी मेरी धारणा यही बनी थी कि उसकी हत्या का कारण यही था और अब तो बह धारणा मजबूत होती नजर आ रही है । यकीनन इन नौ लोगों का रैकेट पेपर आऊट कर रहा था । सत्या ने उन्हें पकड़ लिया । इसी वजह से मारी गयी । "
 
" अगर चन्द्रमोहन अन्य आठ लोगों के साथ सत्या का कातिल था तो मरने से पूर्व तुम से बात करते समय वो किस मानसिक अवस्था में था ? क्या वह सचमुच अपने साथियों को पकड़वाने के फेर में था अथवा तुम्हें धोखा देना चाहता था ? "

“ मुझे आश्चर्य है । वेद जी ने हवालात में उसकी हालत देखी थी । जितना टार्चर मैंने किया था इसके बाद उसे टूट जाना चाहिए था । कुबूल कर लेना चाहिए था कि उसने फला - फलां आठ व्यक्तियों के साथ सत्या की हत्या की है । मगर नहीं टूटा । मुझे भी लगा वह कातिल नहीं है । इसलिए छोड़ दिया मगर मेरा ख्याल है टार्चर ने उसे हिला डाला ।

वह सोचने पर मजबूर हो गया कि देर सबेर सत्या के हत्यारे का मैं पता लगा लूंगा । उस वक्त जब इंस्पैक्टर को पता लगेगा कि मैं भी कातिलों में एक हूं तो शायद इंस्सपेक्टर इस बात पर क्रुद्ध होकर सबसे ज्यादा बुरी गत मेरी ही बनाये कि मैं उसके टॉर्चर के बावजूद नहीं हिला था । अब हम अपनी थ्योरी को सच मानकर उस वक्त की कल्पना करते हैं जब मैंने चन्द्रमोहन को छोड़ा । उससे पहले उसके आठ साथियों के दिलो दिमाग यह सोच - सोचकर कांप रहे होंगे कि हवालात में चन्द्रमोहन टूट गया और हकीकत बता दी तो क्या होगा ? उन्होंने राहत की सांस तब ली होगी जब चंद्रमोहन ने बनाया होगा कि इस्पैक्टर उससे कुछ नहीं उगलवा सका ।

इधर चन्द्रमोहन के दिमाग में खुद को बचाने का द्वन्द्व चल रहा होगा । और फिर , उसने खुद को बचाने की तरकीब निकाल ली । मारे जाने से पूर्व मेरे ख्याल से वह उसी तरकीब पर अमल कर रहा था । "
" मतलब ? "
मतलब कि " उसने वह पेपर हासिल किया जो मरते वक्त सत्या की मुट्ठी में था । उसे मुझे सौंपकर शापद वह ये कहने वाला था कि इसकी खातिर फला - फलां आठ लोगों ने सत्या की हत्या की ।
" मैंने कहा ---- " वे आठों पकड़े जाने पर बताते कि चन्द्रमोहन भी उनका साथी है । "

“ उस वक्त चन्द्रमोहन कहता ---- वे झूठ बोल रहे हैं । मेरा नाम केवल इसलिए ले रहे हैं क्योंकि मैंने इन सबकी पोल खोली है । पकड़वाया है । इस अवस्था में हमें वही सच्चा नजर आता । "
" बात तो जंचने वाली है । " कहने के साथ मैंने विभा की तरफ देखा ---- " फोन करते वक्त शायद वह इसी फिराक में था । "

" और उसी समय मारा गया ! यानी हत्यारे को मालूम था की वह सत्या के हत्यारों का भेद पुलिस पर खोलने वाला है । वह उन्हें कानून के हवाले नहीं करना चाहता है। खुद सजा देने का तलबगार है । "
" जाहिर है । "
" CHA , L और L मारे जा चुके हैं । बाकी बचे E ,N , G , E को क्यों न हम गिरफ्तार कर लें ? "
" ये वो लिस्ट है जो मेरे मांगने पर बंसल ने दी । " विभा ने लिस्ट दिखाते हुए कहा ---- " कॉलिज में ऐसे चालीस लोग हैं जिनके नाम E.N.G.E से शुरू होते हैं । क्या हमें सबको गिरफ्तार कर लेना चाहिए ?

" यह पता लगाना शायद मुश्कित नहीं होगा कि इन चालीस में से वे चार कौन से हैं , जो सत्या के मर्डर में शामिल रहे ।

मैंने कहा ---- " दरअसल अभी ये समझ नहीं रहे होंगे कि मर केवल वे रहे हैं जिन्होंने सत्या की हत्या की और हत्यारे के अगले शिकार वे है । यह बात समझ में आते ही वे कदमों में गिर जायेंगे हमारे । "
" समझाये कौन ? "
" सोचना यही है वेद । " विभा ने कहा ---- " यह बात उन्हें समझाई जाये या नहीं ? सोच लो ---- चालीस में से चार छांटे तो जा सकते हैं , परन्तु खुलना सभी के साथ पड़ेगा और सबके साथ खुलने का मतलब है वह बात सारे कालिज में फैल जाना जो इस वक्त केवल हमें मालूम है । पहले ही आतंक छाया हुआ है । यह बात खुलने के बाद तो दहशत फैल जायेगी चारों तरफ ! साथ ही हत्यारा भी जान जायेगा कि हम क्या जान गये हैं । "
" तो करें क्या ? " जैकी बोला ---- " मेरा एक सजेशन है विभा जी ! "
" बोलो ! "
" अगर उसी क्रम में चला जाये जिस क्रम से हत्याएं हो रही है तो हत्यारे का अगला शिकार है E..... लिस्ट में ऐसे कितने नाम है जिनके नाम E से शुरू होते हैं ?

" पन्द्रह ! "
" क्यों न फिलहाल इन पन्द्रह को ही अपने सुरक्षा - जाल में रखें ? "
विभा ने कहा ---- " लविन्द्र की हत्या ने साबित कर दिया है ---- हत्यारे के लिए दिन और रात में कोई फर्क नहीं है । वह किसी भी समय वारदात कर सकता है । इन पन्द्रह को अभी से अपने सुरक्षा चक्र में ले लेना चाहिए । " "
" इसके लिए मुझे फोर्स बुलानी होगी । "
" इसी वक्त जाकर एस.एस.पी. से बात करो । "
 
विभा ने कहा । कैंटीन वाला कैंटीन बंद करने की प्रक्रिया की तरफ बढ़ रहा था ।

मैं और विभा वहां पहुंचे । विभा ने उसे कैंटीन बंद करने से रोका । कॉफी बनाने के लिए कहा । ज्यादा भीड़ नहीं थी वहां । इक्का दुक्का मेजों पर स्टूडेन्ट्स बैठें थे । मैं और विभा उस वक्त कॉफी पी रहे थे जब गुल्लू वहां पहुंचा ।

रूल बगल में दबाये उसने कैंटीन वाले से चाय बनाने के लिए कहा । और हमसे दूर , एक कुर्सी पर बैठ गया । कहर उस वक्त बरपा जब चाय पीने के बाद गुल्लू पेमेन्ट करने लगा । विभा की आंखों में मैंने बड़ी जबरदस्त चमक देखी । इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाता वह झटके से उठी । बाज की मानिंद झपटी और गुल्लू के नजदीक पहुंचकर उसकी कलाई थाम ली ।

गुल्लू के हाथ में सौ का करारा नोट था । उस नोट को लेने के लिए कैंटीन वाले का हाथ बढ़ा का बढा रह गया । विभा की अजीब हरकत पर कैंटीन में मौजूद हर व्यक्ति चकित रह गया था ।

" जब चन्द्रमोहन की हत्या हुई उस वक्त तुम कहां थे ? " पूछने के साथ विभा ने उसके हाथ से नोट खींच लिया ।

" इस्पैक्टर साहब को बता चुके हैं । " गुल्लू ने रटे रटाये शब्द बोलने शुरू किए ---- " हम गेट पर स्टेण्ड थे । चन्द्रमोहन बाबा की चीख सुनी । स्टॉफ रूम की तरफ रन किया । वहां पहुंचे तो देखा .. .

उसकी बात काटकर विभा गुर्राई ---- " झूठ बोलने की कोशिश की तो जिन्दा गाड़ दूंगी जमीन में । ' सकपका गया गुल्लू ।

हकबकाया सा विभा की तरफ देखता रह गया । तब तक कैंटीन में मौजूद हर शख्स उनके समीप पहुंच चुका था । किसी को समझ में नहीं आ रहा था अचानक विभा ने गुल्लू को क्यों पकड़ा ?

अगर उसे कोई शक था तो काफी पहले यह हरकत क्यों नहीं की ? इसी वक्त गुल्लू की ऐसी क्या असामान्य हरकत देखी जिसके कारण हरकत में आई ?

मैंने पूछा ---- " क्या हुआ विभा ? क्या किया है इसने ? "
" इस नोट को देखो । " गुल्लू पर नजरें चिपकाये विभा ने नौट मेरी तरफ बढ़ाया ---- " कितना करारा है ? एकदम नया ! ऐसे ही नोट तुम्हें और जैकी को चन्द्रमोहन की जेब से मिले थे । देखकर बताओ ---- ये नोट उनके साथ का है या नहीं ?

" दंग रह गया मैं । चन्द्रमोहन की जेब से बरामद जिन नोटों को पूरी तरह भूल चुका था , वे केवल मेरे बताने मात्र से विभा के जहन में थे । न केवल जहन में थे बल्कि इस नोट को देखते ही उन नोटों की याद आ गयी उसे ! आखिर क्या लिंक जुड़ रहा था उसकी करामाती खोपड़ी में ? कुछ भी न समझते हुए मैंने कहा ---- " है तो वैसा ही कोरा मगर उसके साथ का है या नहीं ---- गारंटी से नहीं कह सकता । असल में खुन सने पेपर के कारण मैं उन पर ध्यान नहीं दे सका था । "

" कहां है वे नोट ? "

" जैकी के पास । " " मोबाइल पर फोन करो उसके । नोटों के नम्बर पूछो । "
" ओ.के .. " कहने के साथ मैंने कैंटीन से निकलने के लिए कदम बढ़ाया ही था कि विभा ने कहा ---- " या ठहरो ! " मैं ठिठका "

पहले इसी से पूछते हैं । " विभा ने गुल्लू से सवाल किया ---- “ बोलो ---- ये नोट उन्हीं के साथ का है या नहीं ? "

गुल्लू चुप ! " सच बोलोगे तो माफ कर सकती हूं । जैकी से बात करने के बाद हकीकत सामने आई तो तुम्हारे लिए मुश्किलें खड़ी हो जायेंगी ।

" टूट गया गुल्लू । बोला ---- " उन्हीं के साथ का है "
" और कितने है ? "
" निकालो ।
गुल्लु ने अपने साफे के नीचे से वैसा ही एक और नोट निकालकर दिया । दोनों के नम्बर आगे पीछे के थे । विभा ने पुछा ---- " तुम पर कैसे आ गये थे ? "
" चन्द्रमोहन बाबा ने दिये थे । "
" कब ? कहां ? और क्यों ?
 
" बात उसी नाइट की है जिस नाइट उनका मर्डर हुआ । हम राऊन्ड पर थे । देखा ---- एक साया बायज हॉस्टल की बाऊंड्री वाल से कैम्पस में कूदा । हमने खुद को अंधेरे में छुपा लिया । "

" छुपा क्यों लिया ? चौकीदार होने के नाते तुम्हारा कर्तव्य उसे ललकारना था या खुद को छुपा लेना ? "
" क्योंकि हम साये को पहचान गये थे ।

चन्द्रमोहन बाबा थे तो हमारी आसामी ! "
" आसामी से मतलब ? "
" ये मनी फर्स्ट बार नहीं दी थी उन्होंने । "
" अक्सर देता रहता था ? "
" क्योंकि वे नाइट में कालिज से बाहर जाते थे । "
" किसलिए ? "
" स्मैक लेने । "
" उस नाइट हम कड़के थे । सो सोचा चलो , अच्छी मुर्गी बनेगी । चन्द्रमोहन बाबा खुद को डार्क में रखने का प्रयत्न करते आगे बढ़ रहे थे । हमने सोचा टूडे ऐसा व्हाई कर रहे हैं ? ये तो सीना तानकर गेट की तरफ बढ़ते थे । हमारी मुट्ठी गर्म करते थे और निकल जाते थे । लगा आज वे चकमा देकर नाइन टू इलेविन होने के फेर में हैं । मगर हम भला कब चूकने वाले थे ? दवे पांव उनके नजदीक पहुंचे । अपना हेण्ड उनके सोल्डर पर रखा ।

बुरी तरह चौक उठे थे । उछलकर घूमते हुए पूछा ---- " क - कौन ? "
" हम हैं चन्द्रमोहन बाबा । " हमने ही - ही करके टीथ दिखा दिये ।
" ओह ! गुल्लू ? " उन्होंने राहत की सांस ली ---- " तुमने तो मुझे डरा ही दिया यार । " " डरता तो मैन तभी है चन्द्रमोहन बाबा जब खुद के हार्ट में थीफ हो । तुम चोरी - चोरी निकलना चाहते थे ! हमने दबोच लिया । गार्ड हैं यहां के ड्यूटी पर मुस्तैद रहते हैं । बगैर फीस दिये कोई आऊट नहीं जा सकता । "
" मैं बाहर नहीं जा रहा । "
" तो क्या कम्पनी गार्डन समझकर नाइट वॉक पर निकले थे ? "
" स्टॉफ रूम की तरफ जा रहा था । मुझे एक फोन करना है । "
" तु इस लफड़े में मत पड़ । " कहने के साथ उन्होंने एक नोट निकालकर हमारे हैण्ड पर रखा ---- हमने गैट की तरफ देखते हुए उनमें कहा ---- ' रेट घटा दिये है क्या ? मालूम नहीं — महंगाई कुतुबमीनार पर चढ़कर चिल्ला रही है । एक और झटको । "

उन्होंने एक और नोट निकालकर हमारे हैण्ड पर रखा । विभा ने पूछा -.... " क्या तुमने उसके पास खुन से सना पेपर भी देखा था ? "
" नो । उन्होंने दोनों बार जैब से एक - एक नोट ही निकाला था । "
" और उसके बाद ? " हमने कहा --- " फोन करने के द हन्डरेड ! कोई खास चिड़िया है क्या ? "
" तू इस चक्कर में मत पड़ । गेट की तरफ जा । " उन्हें घिस्सा देने के लिए हमने गेट की तरफ बढ़ने का ड्रामा जरूर किया पर असल में उपर गये नहीं । बीच ही से कन्नी काटकर मन वदला और वरांडे के धम्बों के पीछे छुप - छुपाते फॉलो करने लगे । सोचा था ---- अगर यह पता लग जाये वे किस गर्ल को फोन कर रहे हैं तो अच्छी- खासी पुड़िया बन जाये ।

जिस वक्त वे स्टॉफ रूम में दाखिल हुए उस वक्त हम सामने वाले बरांडे में थे । बट आपने देखा ही होगा ---- दोनों के बीच करीब टु हन्डरेड फुट चौड़ा ग्राऊन्ड है । उन्हें स्टाफ रूम में गये ज्यादा टाइम नहीं गुजरा था कि एक हेलमेट वाला डार्क से निकलकर चांदनी में आया । उसके हैण्ड में वन वल्लम था । इससे पहले कि हम कुछ समझ पाते , वह बड़बड़ाता सा स्टाफ रूम के दरवाजे पर पहुंचा ।
 
हम यह जानने की कोशिश कर ही रहे थे कि वह कौन है एण्ड बाट चाहता है कि उसका बल्लम बाला हैण्ड इलेक्ट्रिक स्पीड से चला । अगले पल उसके हैण्ड में वल्लम नहीं था । चन्द्रमोहन बाबा की चीख गुंजी ।

डेंजर का आभास होते ही हम बरांडे से ग्राउन्ड में कुदे । स्टाफ रूम की तरफ रन किया । हेलमैट वाला भी भागा । हम चीखते हुए उसकी तरफ दौड़े । उसके बाद का सच - सच हम आपके फ्रेंड और इंस्पेक्टर साहब को बता ही चुके हैं । हमारे देखते ही देखते वह कॉलिज की बाऊन्द्री बॉल से बाहर कूद गया । "

" ये बातें तुमने पहले क्यों नहीं बताई "

" सर्विस से किसे लव नहीं होता , मैडम जी ? प्रिंसिपल साहब को पता लग जाता हम करेंसी लेकर चन्द्रमोहन बाबा को बाहर जाने देते थे तो बोरिया बिस्तर राऊन्ड न हो जाता ? "

उसे घुरती हुई विभा ने कहा ---- " क्या जरूरी है इस वक्त सच बोल रहे हो ? "
" आपके सामने किसी की लाई चल ही नहीं सकता मैडम जी बट .... "
क्या कहना चाहते हो ? " । "
हैण्ड जोड़ता हूं आपके ! फुट पड़ता हूँ । जो मैंने बताया या बताना पड़ा ---- उसके बारे में प्रिंसिपल साहब से कुछ न कहना । बड़े स्ट्रिक है । हमारी सर्विस चट कर जायेंगे । "
" नहीं कहूंगी । मगर तुम्हें सच बोलना होगा । " " सब ही तो बोला है मैडम जी । "
" अभी आधा सच बोला है तुमने । आधे सच को छुपा रहे हो । "
" ह - हम तो कुछ भी नहीं छुपा रहे , मैडम जी ।

आओ । " कहने के साथ विभा उसे घसीटती सी कैंटीन के कमरे में ले गयी । मैं साथ था । उसके निर्देश पर कमरे का दरवाजा अंदर से बंद किया । बाहर रह गये स्टूडेन्ट सस्पैंस से घिरे वहीं खड़े रह गये । आतंक की ज्यादती के कारण गुल्लू का बुरा हाल था । वह समझ चुका था किसी मुसीबत में फंसने वाला है । हालांकि यह बात मेरे जहन में थी कि गुल्लू का नाम भी उन अक्षरों में से एक से शुरू होता है जो हत्यारे के भावी शिकार है , परन्तु यह न जान सका ---- यह गुल्लू से चाहती क्या है ? इस बक्त वह गुल्लू के अत्यन्त नजदीक खड़ी उसे घूर रही थी । गुल्लू को काटो तो खून नहीं नजर ही नहीं चेहरा झुकाकर कहा उसने ---- " अ - आप हमें ऐसे क्यों देख रही है ? "

" चन्द्रमोहन के साथ किसी क्राइम में शामिल नहीं थे तुम ? " विभा के हलक से गुर्राहट निकली ।
" ह - म ? " गुल्लू ने एक झटके से चेहरा उठाया - " हम भला किस क्राइम में शामिल होते ? "
" तुमने अभी - अभी कहा- मेरे सामने झूठ नहीं चल सकता । मैं जान चुकी हूं बेवकूफ । तुम पेपर आऊट करने वाले रैकेट के मेम्बर हो । तुमने चन्द्रमोहन , हिमानी , अल्लारक्खा , ललिता , लविन्द्र और दूसरे साथियों के साथ मिलकर सत्या की हत्या की । " चेहरा निचुड़ गया गुल्लू का । क्षण मात्र में अपराधी सा नजर आने लगा वह ।

विभा उस पर प्रेशर बढ़ाने के लिए गुराई ---- " हकीकत जानते हुए भी मैंने किसी से कुछ नहीं कहा है ! सोचो ---- इस बार मैंने इंस्पैक्टर को बता दिया तो क्या हाल करेगा तुम्हारा ? "
" न - नो नो मैडम जी । " वह पछाड़ सी खाकर विभा के कदमों में गिर गया ---- " उसके हवाले मत करना । चन्द्रमोहन ने बताया था बड़ा जालिम इंस्पैक्टर है वो । बहुत बुरी तरह टार्चर करता है हम तो सुनकर ही कांप गये । सोचने लगे उसकी जगह हम इंस्पैक्टर के चंगुल में फंस जाते तो हकीकत को छुपाये नहीं रख सकते थे । "
" कौन सी हकीकत को ? "
" ज - जब आप सब कुछ जानती ही है तो .... " मेरा जानना अलग है । तुम्हारा बताना अलग ! मैं ये देखना चाहती हूं ---- तुम अब भी कुछ छुपाने की फिराक में हो या सब कुछ सच - सच बताते हो ? बोलो --- सत्या की हत्या क्यों और किस तरह की तुमने ? सारी बातें विस्तार से बताओ । कुछ भी छुपाया तो मुझसे बुरा कोई न होगा । '
 
" हम नौ लोग पेपर आऊट करने का धंधा करते थे । "
" नाम बताओ सबके । "
" आप जानती तो है ....।

तुम्हारे मुंह से सुनने को तलबगार हूं ।
" मैं समझ गया ---- विभा बाकी के तीन नाम जानना चाहती है । उन नामों को सुनने के लिए मैं भी बेचैन था ।
" मैं | " गुल्लू ने बताना शुरू किया ---- " चन्द्रमोहन , हिमानी , अल्लारक्खा , ललिता , लविन्द्र , एकता , नगेन्द्र और ऐरिक । "
" गुड ! " विभा ने कहा ---- " कब से चल रहा था ये धंधा ? "
" पांच साल से । शुरू में केवल ऐरिक , नगेन्द्र और चन्द्रमोहन ने शुरू किया था । अगले साल हिमानी और अल्लारखा जुड़ गये । उससे अगले साल ललिता और एकता रैकेट की मेम्बर बनीं । हमें और लविन्द्र सर को उनके फेर में आये ओनली टू ईयर हुए है । "
" नये - नये लोग किस तरह जुड़ते थे ? "
" जो किसी भी जरिए से रैकिट का राज जान जाता । ओल्ड लोग उसे शेयर देने का लालच देकर शामिल कर लेते थे । "
" कितनी कमाई होती थी इसमें ? "
" असली कमाई के बारे में तो ऐरिक सर और चन्द्रमोहन जानते हैं । हम जैसे छोटे प्यादे को तो वन ईयर में ओनली फ़ाइव लाख मिल जाते थे । "
" पांच लाख ? " विभा दंग रह गयी । "
यह केवल इसका शेयर था। " मैं बोला -- "

अब मेरी समझ में आया । पेपर आऊट करने वाला यह वह रेकैट है जिसकी सक्रियता की चर्चा किसी न किसी स्तर पर हर साल होती रही है । मगर इधर एग्जाम खत्म होते उधर चर्चा भी आई गई हो जाती । ये पेपर यूनिवर्सिटी से कनेक्टिड सभी कालिजों में ऊंचे दामों में बेचे जाते थे । "
" खैर ! " विभा ने गुल्लू से कहा ---- " सत्या तुम्हारे हत्थे कैसे चढी ? "
" उन्होंने कैम्पस में वंसल साहब और चन्द्रमोहन के खिलाफ मीटिंग बुलाई हुई थी । क्लाईमेंट तो कॉलिज का गर्म था ही मगर हमें उस गर्मी से कुछ लेना देना नहीं था । हमारे दिमागों पर तो यह गर्मी सवार थी कि एग्जाम आने वाले हैं --- इस बार मिशन को किस तरह अंजाम दिया जाये ? सत्या मैडम को ढूंढने के बहाने हम सब हिमानी मैडम के कमरे में इकट्ठे हुए । उन्हीं के द्वारा बनाये गये पेपर की कापियां थीं हमारे हाथों में । तभी चन्द्रमोहन ने कालिज में अपने खिलाफ चल रहे माहौल का जिक्र छेड़ दिया ! कहने लगा ---- हम सबको सत्या के खिलाफ उसकी मदद करनी चाहिए ।

ऐरिक सर ने कहा ---- " हम लोग सिर्फ इस धंधे के हिस्सेदार हैं । किसी की अन्य गतिविधियों से कुछ लेना - देना नहीं है । जो तुमने किया है , तुम्हीं को भुगतना होगा । हममें से कोई साथ देने के लिए बाध्य नहीं है । '

यह सुनकर चन्द्रमोहन भड़क उठा । धंधे का भेद खोलने की धमकी देने लगा । तब एकता और अल्लारखा ने कहा ---- ' इस तरह तुम्हारा साथ देने लगे तो हम लोगों की उस पॉलिसी पर भी पानी , फिर जायेगा जिस पर आज तक अमल करते रहे हैं । सब यही जानते हैं तुम और हम अलग - अलग ग्रुप के हैं । यह सावधानी हमने इसीलिए तो अपना रखी है कि नौ लोगों का रैकिट कभी किसी की समझ में न आ सके । परन्तु चन्द्रमोहन किसी की सुनने को तैयार नहीं था । वह लड़ने - झगड़ने लगा ।

ऊंची आवाज में बोलने लगा । उसी का अंजाम था सत्या मैडम रूम में आ गयीं । "
" उसके बाद ? " मैंने धड़कते दिल से पूछा। "

सब अवाक रह गये । उनका फेस कठोर संगमरमर जैसा लग रहा था । हिमानी के हैण्ड में दबा पेपर छीनती हुई बोली ---- " दरवाजे के बाहर खड़ी पन्द्रह मिनट से तुम्हारी बकवास सुन रही हूं । जान चुकी हूं वह रैकेट तुम लोग चलते हो जिसकी कानून को पांच साल से तलाश है । और लविन्द्र तुम ? तुम भी इन लोगों में शामिल हो ? मैं सोच तक नहीं सकती थी तुम इस घृणित धंधे का हिस्सा होगे । "
 
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