desiaks
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लविन्द्र सर सहित सबने उन्हें समझाने की कोशिश की । कोशिश यही थी जो किसी भी नये आदमी को राज पता लगने पर की जाती थी । ' उसे रैकेट में शामिल कर लेना । शेयर का लालच देना । मगर सत्या मैडम पर किसी चीज का असर नहीं हुआ । उन्हें सबसे ज्यादा शिकायत लबिन्द्र सर से थी ।
जब वे हम सबका भेद कैम्पस में जाकर खोलने की धमकी देने लगी तो चन्द्रमोहन ने चाकू खोल दिया । बोला ---- " तेरा इलाज केवल ये है । " सब समझ चुके थे सत्या मेडम को शामिल करना तो दूर , पोल खोलने तक से नहीं रोका जा सकता । अतः सबको वही रास्ता नजर आया जो चन्द्रमोहन कह रहा था । केवल लविन्द्र सर ने विरोध किया । कहा- " वे सत्या को समझा लेंगे । ऐसा कोशिश उन्होंने की भी किन्तु सत्या मैडम खतरा भांप चुकी थीं ।
लविन्द्र सर समझाने - बुझाने की कोशिश कर ही रहे थे कि उन्होंने दरवाजे की तरफ जम्प लगाई । सैंडिल वहीं रह गई । सब उनके पीछे लपके । भेद खुलने पर फांसी का फंदा साफ - साफ नजर आ रहा था । पेपर मुट्ठी में दवाये सत्या मैडम को जिधर जगह मिली भागती चली गयी । हम उनके पीछे थे ।
चाकू ऐरिक सर के हाथ में भी आ चुका था । भागम - भाग के बाद सब टेरेस पर पहुंचे । ऐरिक सर ने चाकू भौंका । सत्या मैडम के हलक से चीख निकली । जख्म से खून का फव्वारा ! पेपर उनके अपने खून से सन गया । हिमानी मैडम ने झपटकर उसे छीना । सत्या मैडम चीखती हुई टैरेस के सिरे की तरफ भागी । चाकू सम्भाले ऐरिक सर पुनः उन पर झपटे
मगर हममें से कोई भी टैरेस के सिरे पर नहीं जा सकता था । जानते थे वहां कैम्पस में मौजूद लोगों द्वारा देख लिये जायेंगे । और फिर हमसे बचने के प्रयास में ये टेरेस से गिर गई " बताने के बाद गुल्लू चुप हो गया । गहरी - गहरी सांसें ले रहा था वह ।
" आगे बको । "
" सब अवाक रह गये । जो हुआ , आनन - फानन में हो गया था । लविन्द्र सर तो ऐरिक पर गुर्रा भी उठे ---- ' ये क्या किया तुमने ? ' ऐरिक सर दहाड़े ---- और क्या करता ? " अल्लारखा बोला ---- ' जो हो गया सो गया , इस पर बाद में सोचेंगे । फिलहाल हमारा कैम्पस की भीड़ में शामिल होना जरूरी है। बात सबको जँची। ऐरिक सर ने चाकू चन्द्रमोहन को देने के साथ कहा ---- ' इसे कहीं छुपा दे । '
एकता ने हिमानी से कहा --- ' ये पेपर या पैपर के टुकड़े भी किसी के हाथ नहीं लगने चाहिए । ' हिमानी ने पेपर अपने वक्षस्थल में ठूंस लिया । चन्द्रमोहन टैरेस से टैरेस पर कूदकर व्यायज़ हॉस्टल में पहुंचा । जल्दी ही हम सब भी कैम्पस की भीड़ में शामिल हो गये । "
" उसके बाद ? " मेरे मुंह से निकला ।
" डेथ से पूर्व कैम्पस की जमीन पर सत्या मैडम द्वारा लिखा गया CHALLENGE जैसे अन्य सबके लिए पहेली था वैसे ही हमारे लिए भी था । आज तक है ! हम लोग आपस में कई बार विचार - विमर्श के बावजूद नहीं समझ सके कि सत्या मैडम ने CHALLENGE क्यों लिखा ? "
" चन्द्रमोहन की गिरफ्तारी की तुम लोगों पर क्या प्रतिक्रिया हुई थी ? "
" चन्द्रमोहन के खिलाफ शोर - शराबा राजेश आदि ने शुरू किया । ज्यादातर स्टूडेन्ट्स ने उनका साथ दिया । इस्पेक्टर ने उसके कमरे की तलाशी लेने का फैसला किया । खून से सना चाकू बेवकूफ ने वहीं छुपा रखा था ! मरना तो था ही ! पकड़ा गया । इंस्पैक्टर के जाते ही ऐरिक सर के कमरे में आठों की मीटिंग हुई । ज्यादातर की हवा यह सोच - सोचकर शंट हुई जा रही थी कि चन्द्रमोहन टूट गया तो क्या होगा ? "
" लविन्द्र की क्या प्रतिक्रिया थी उस वक्त ? " " वे खामोश थे । एक लफ्ज़ नहीं बोले । वार्ता में हिस्सा भी नहीं लिया । सबने पूछा भी वे क्या सोच रहे हैं ? केवल इतना कहा ---- जो हुआ , अच्छा नहीं हुआ ।
जब वे हम सबका भेद कैम्पस में जाकर खोलने की धमकी देने लगी तो चन्द्रमोहन ने चाकू खोल दिया । बोला ---- " तेरा इलाज केवल ये है । " सब समझ चुके थे सत्या मेडम को शामिल करना तो दूर , पोल खोलने तक से नहीं रोका जा सकता । अतः सबको वही रास्ता नजर आया जो चन्द्रमोहन कह रहा था । केवल लविन्द्र सर ने विरोध किया । कहा- " वे सत्या को समझा लेंगे । ऐसा कोशिश उन्होंने की भी किन्तु सत्या मैडम खतरा भांप चुकी थीं ।
लविन्द्र सर समझाने - बुझाने की कोशिश कर ही रहे थे कि उन्होंने दरवाजे की तरफ जम्प लगाई । सैंडिल वहीं रह गई । सब उनके पीछे लपके । भेद खुलने पर फांसी का फंदा साफ - साफ नजर आ रहा था । पेपर मुट्ठी में दवाये सत्या मैडम को जिधर जगह मिली भागती चली गयी । हम उनके पीछे थे ।
चाकू ऐरिक सर के हाथ में भी आ चुका था । भागम - भाग के बाद सब टेरेस पर पहुंचे । ऐरिक सर ने चाकू भौंका । सत्या मैडम के हलक से चीख निकली । जख्म से खून का फव्वारा ! पेपर उनके अपने खून से सन गया । हिमानी मैडम ने झपटकर उसे छीना । सत्या मैडम चीखती हुई टैरेस के सिरे की तरफ भागी । चाकू सम्भाले ऐरिक सर पुनः उन पर झपटे
मगर हममें से कोई भी टैरेस के सिरे पर नहीं जा सकता था । जानते थे वहां कैम्पस में मौजूद लोगों द्वारा देख लिये जायेंगे । और फिर हमसे बचने के प्रयास में ये टेरेस से गिर गई " बताने के बाद गुल्लू चुप हो गया । गहरी - गहरी सांसें ले रहा था वह ।
" आगे बको । "
" सब अवाक रह गये । जो हुआ , आनन - फानन में हो गया था । लविन्द्र सर तो ऐरिक पर गुर्रा भी उठे ---- ' ये क्या किया तुमने ? ' ऐरिक सर दहाड़े ---- और क्या करता ? " अल्लारखा बोला ---- ' जो हो गया सो गया , इस पर बाद में सोचेंगे । फिलहाल हमारा कैम्पस की भीड़ में शामिल होना जरूरी है। बात सबको जँची। ऐरिक सर ने चाकू चन्द्रमोहन को देने के साथ कहा ---- ' इसे कहीं छुपा दे । '
एकता ने हिमानी से कहा --- ' ये पेपर या पैपर के टुकड़े भी किसी के हाथ नहीं लगने चाहिए । ' हिमानी ने पेपर अपने वक्षस्थल में ठूंस लिया । चन्द्रमोहन टैरेस से टैरेस पर कूदकर व्यायज़ हॉस्टल में पहुंचा । जल्दी ही हम सब भी कैम्पस की भीड़ में शामिल हो गये । "
" उसके बाद ? " मेरे मुंह से निकला ।
" डेथ से पूर्व कैम्पस की जमीन पर सत्या मैडम द्वारा लिखा गया CHALLENGE जैसे अन्य सबके लिए पहेली था वैसे ही हमारे लिए भी था । आज तक है ! हम लोग आपस में कई बार विचार - विमर्श के बावजूद नहीं समझ सके कि सत्या मैडम ने CHALLENGE क्यों लिखा ? "
" चन्द्रमोहन की गिरफ्तारी की तुम लोगों पर क्या प्रतिक्रिया हुई थी ? "
" चन्द्रमोहन के खिलाफ शोर - शराबा राजेश आदि ने शुरू किया । ज्यादातर स्टूडेन्ट्स ने उनका साथ दिया । इस्पेक्टर ने उसके कमरे की तलाशी लेने का फैसला किया । खून से सना चाकू बेवकूफ ने वहीं छुपा रखा था ! मरना तो था ही ! पकड़ा गया । इंस्पैक्टर के जाते ही ऐरिक सर के कमरे में आठों की मीटिंग हुई । ज्यादातर की हवा यह सोच - सोचकर शंट हुई जा रही थी कि चन्द्रमोहन टूट गया तो क्या होगा ? "
" लविन्द्र की क्या प्रतिक्रिया थी उस वक्त ? " " वे खामोश थे । एक लफ्ज़ नहीं बोले । वार्ता में हिस्सा भी नहीं लिया । सबने पूछा भी वे क्या सोच रहे हैं ? केवल इतना कहा ---- जो हुआ , अच्छा नहीं हुआ ।