desiaks
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“य...यह क्या कर रहे हो ज...जतिन।” वह उसकी गिरफ्त में मचलती कठिनाई से बोली, उसका दम घुटने लगा था “पा...पागल हो गये हो क्या, छोड़ो म...मुझे।”
“वैसे तेरे हौसले की दाद देने को मन कर रहा है।” जतिन होंठ चबाता बोला। उसने अपने हाथों का दबाव जरा सा भी कम नहीं किया था “ऊपर वाला तुम हसीनाओं को गजब की हिम्मत देकर दुनिया में भेजता है। रंगे हाथों पकड़ी गई, फिर भी जरा सा भी पश्चाताप नहीं उभरा चेहरे पर। उल्टा मुझ पर हावी होने की कोशिश कर रही है। चोरी और सीनाजोरी की ऐसी मिसाल कहां मिलती है देखने को। मगर कोई बात नहीं, अब सब ठीक हो जाएगा?"
“क...क्या ठीक हो जायेगा। तुम्हें फांसी ह..हो जाएगी।"
“कल क्या होगा किसने देखा है! वैसे भी तू अभी-अभी सहगल के साथ हमबिस्तर होकर हटी है। जानकी लाल के कत्ल के षड्यंत्र में भी तूने बराबर उसका साथ दिया। अगर जिंदा रहती तो आइंदा कत्लों में भी पूरा-पूरा उसका साथ देने वाली थी। ऐसे अगर तेरे कत्ल का कोई सबसे बड़ा सस्पेक्ट होगा तो वह तेरा बूढ़ा यार सहगल ही होगा और अगर फांसी पर लटकने की नौबत आएगी तो मैं नहीं वह लटकेगा।"
उसका दम घुटने लगा था चेहरा टमाटर की तरह लाल हो गया था। आंखें कटोरियों से बाहर उबलने लगी थी।
“ज...जतिन।” वह बड़ी कठिनाई से कह पाई थी “छ..छोड़ो मुझे प्लीज।”
“बस थोड़ा सा सब्र और कर जहरीली नागिन ।” जतिन जबड़े भींचकर खूनी स्वर में गुर्राया और अपने हाथ का दबाव उसने
और बढ़ा दिया था “फिर सब ठीक हो जाएगा। तुझे सारे कष्टों से निजात मिल जाएगी।"
बोलने की कोशिश में संजना के होठों से इस बार केवल गूं...गूं की आवाज ही निकल सकी थी। उसका प्रतिरोध क्षीण पड़ने लगा था। अपनी मौत उसे साक्षात आंखों के सामने नजर आने लगी थी।
जतिन पर जैसे खून सवार हो गया था। मौत को एकदम सामने देखकर पस्त पड़ती संजना ने आखिरी प्रयास किया। उसने अपनी समूची शक्ति पांव में समेटकर दाहिने पैर का घुटना जतिन की जांघों के जोड़ पर दे मारा।
भड़ाक...!
प्रहार बेहद तेज था जो कि अंततः निर्णायक साबित हुआ था। जतिन के हलक से चीख निकल गई। वह तड़पकर पीछे हट गया।
संजना की गरदन से उसका हाथ हट गया। वह दोनों हाथों से अपनी जांघे थामकर फर्श पर कूदने लगा।
संजना ने एक पल भी बरबाद नहीं किया था। उसने जल्दी-जल्दी दो-तीन गहरी सांसें लीं, फिर वह तेजी से बिस्तर की ओर झपटी।
उसने गद्दे के नीचे हाथ डाला तो उसके हाथ में बाईस कैलीबर का एक छोटा सा रिवॉल्वर नजर आने लगा। उसने रिवॉल्वर एक झटके से जतिन की ओर तान दिया।
“खबरदार...।” वह दोनों हाथों से रिवॉल्वर को थामे कहर भरे स्वर में बोली। उसकी आंखें धौंकनी की तरह चल रही थीं “कूदना बंद कर दे कमीने और सीधा खड़ा हो जा ताकि मैं तेरी छाती में सही जगह पर सुराख बना सकूँ।"
जतिन ने सचमुच कूदना बंद कर दिया। संजना के रिवॉल्वर पर नजर पड़ते ही वह जैसे खुद-ब-खुद क्रीज हो गया था।
चेहरे पर सारे जहान का आश्चर्य सिमट आया था।
“क्यों, हैरान हो गया न?" संजना व्यंग से बोली “सोच रहा होगा कि यह रिवॉल्वर मेरे पास कहां से आया। जान लेने में कोई हर्ज नहीं है। यह रिवॉल्वर मेरे उसी बूढ़े यार ने मुझे दिया था, ऐसे ही किसी आड़े वक्त के लिए। इसे मैं अक्सर अपने पर्स में रखती हूं। रात को इत्तेफाक से बिस्तर पर सिरहाने रख लिया था और जरा देख तो सही, आज इसका कितना सही इस्तेमाल निकल आया।"
"त...तू मुझे मारेगी?"
“क्यों हरामजादे , तू मेरा गला घोंट सकता है और मैं तेरी लाश नहीं गिरा सकती?"
“पुलिस को क्या जवाब देगी?"
“मेरे ब्वॉयफ्रेंड की नीयत आज बद हो गई थी। उसने मेरे साथ जबरदस्ती कर डाली मेरा शील उजाड़ डाला।”
"श...शील उजाड़ डाला?" वह सकपकाकर बोला। उसकी आंखें फैल गई थीं “कब शील उजाड़ डाला मैंने तेरा?"
“अभी। यहीं इसी बिस्तर पर।"
"म..मगर वह तो...वह तो...।"
"मेरे बूढ़े यार ने किया था।" वह हंसी निहायत ही कुटिल मुस्कराहट थी उसकी “यही कहना चाहता है न तू? लेकिन यह कौन बताएगा? तू तो हरगिज भी नहीं बताने वाला, क्योंकि तू कहां जिंदा रहेगा यह बताने के लिए। और क्योंकि उजड़ा तो सचमुच है मेरा शील, लिहाजा मेरा मेडिकल चैकअप झूठ क्यों बोलेगा। उसके बाद तू मेरी जान लेने का इरादा रखता था, क्योंकि मैं पुलिस के पास जाने वाली थी, इसलिए तूने मेरी जान लेने की कोशिश की। मेरा गला घोंट डालने में कसर नहीं छोड़ी। यह भी मेडिकल रिपोर्ट में तस्दीक होगी। मजबूरन मैंने तुझे शूट कर दिया आत्मरक्षा में, सेल्फ डिफेंस में, जिसका कि कानूनन हर किसी को हक होता है। मुझ जैसी हंगामाखेज हसीना को तो दोहरा हक होता है। नहीं?" वह फिर वही कमीनी हंसी, हंसी।
जतिन के होठों से बोल न फूटा।
वह भौंचक्का सा होकर संजना को देखने लगा था, जो उस वक्त उसे मादक अदाओं वाली हसीन गुड़िया नहीं, बल्कि शैतान की खाला नजर आ रही थी, जिसकी आंखों में मौत की परछाईया नाच रही थी।
जतिन की अपनी मौत की परछाईया।
“त...तू ऐसा नहीं कर सकती संजना।” जतिन के मुंह से निकला। एकाएक पासा पूरी तरह पलटा देख उसका सारा
आवेग खौफ में बदल गया था।
“वैसे तेरे हौसले की दाद देने को मन कर रहा है।” जतिन होंठ चबाता बोला। उसने अपने हाथों का दबाव जरा सा भी कम नहीं किया था “ऊपर वाला तुम हसीनाओं को गजब की हिम्मत देकर दुनिया में भेजता है। रंगे हाथों पकड़ी गई, फिर भी जरा सा भी पश्चाताप नहीं उभरा चेहरे पर। उल्टा मुझ पर हावी होने की कोशिश कर रही है। चोरी और सीनाजोरी की ऐसी मिसाल कहां मिलती है देखने को। मगर कोई बात नहीं, अब सब ठीक हो जाएगा?"
“क...क्या ठीक हो जायेगा। तुम्हें फांसी ह..हो जाएगी।"
“कल क्या होगा किसने देखा है! वैसे भी तू अभी-अभी सहगल के साथ हमबिस्तर होकर हटी है। जानकी लाल के कत्ल के षड्यंत्र में भी तूने बराबर उसका साथ दिया। अगर जिंदा रहती तो आइंदा कत्लों में भी पूरा-पूरा उसका साथ देने वाली थी। ऐसे अगर तेरे कत्ल का कोई सबसे बड़ा सस्पेक्ट होगा तो वह तेरा बूढ़ा यार सहगल ही होगा और अगर फांसी पर लटकने की नौबत आएगी तो मैं नहीं वह लटकेगा।"
उसका दम घुटने लगा था चेहरा टमाटर की तरह लाल हो गया था। आंखें कटोरियों से बाहर उबलने लगी थी।
“ज...जतिन।” वह बड़ी कठिनाई से कह पाई थी “छ..छोड़ो मुझे प्लीज।”
“बस थोड़ा सा सब्र और कर जहरीली नागिन ।” जतिन जबड़े भींचकर खूनी स्वर में गुर्राया और अपने हाथ का दबाव उसने
और बढ़ा दिया था “फिर सब ठीक हो जाएगा। तुझे सारे कष्टों से निजात मिल जाएगी।"
बोलने की कोशिश में संजना के होठों से इस बार केवल गूं...गूं की आवाज ही निकल सकी थी। उसका प्रतिरोध क्षीण पड़ने लगा था। अपनी मौत उसे साक्षात आंखों के सामने नजर आने लगी थी।
जतिन पर जैसे खून सवार हो गया था। मौत को एकदम सामने देखकर पस्त पड़ती संजना ने आखिरी प्रयास किया। उसने अपनी समूची शक्ति पांव में समेटकर दाहिने पैर का घुटना जतिन की जांघों के जोड़ पर दे मारा।
भड़ाक...!
प्रहार बेहद तेज था जो कि अंततः निर्णायक साबित हुआ था। जतिन के हलक से चीख निकल गई। वह तड़पकर पीछे हट गया।
संजना की गरदन से उसका हाथ हट गया। वह दोनों हाथों से अपनी जांघे थामकर फर्श पर कूदने लगा।
संजना ने एक पल भी बरबाद नहीं किया था। उसने जल्दी-जल्दी दो-तीन गहरी सांसें लीं, फिर वह तेजी से बिस्तर की ओर झपटी।
उसने गद्दे के नीचे हाथ डाला तो उसके हाथ में बाईस कैलीबर का एक छोटा सा रिवॉल्वर नजर आने लगा। उसने रिवॉल्वर एक झटके से जतिन की ओर तान दिया।
“खबरदार...।” वह दोनों हाथों से रिवॉल्वर को थामे कहर भरे स्वर में बोली। उसकी आंखें धौंकनी की तरह चल रही थीं “कूदना बंद कर दे कमीने और सीधा खड़ा हो जा ताकि मैं तेरी छाती में सही जगह पर सुराख बना सकूँ।"
जतिन ने सचमुच कूदना बंद कर दिया। संजना के रिवॉल्वर पर नजर पड़ते ही वह जैसे खुद-ब-खुद क्रीज हो गया था।
चेहरे पर सारे जहान का आश्चर्य सिमट आया था।
“क्यों, हैरान हो गया न?" संजना व्यंग से बोली “सोच रहा होगा कि यह रिवॉल्वर मेरे पास कहां से आया। जान लेने में कोई हर्ज नहीं है। यह रिवॉल्वर मेरे उसी बूढ़े यार ने मुझे दिया था, ऐसे ही किसी आड़े वक्त के लिए। इसे मैं अक्सर अपने पर्स में रखती हूं। रात को इत्तेफाक से बिस्तर पर सिरहाने रख लिया था और जरा देख तो सही, आज इसका कितना सही इस्तेमाल निकल आया।"
"त...तू मुझे मारेगी?"
“क्यों हरामजादे , तू मेरा गला घोंट सकता है और मैं तेरी लाश नहीं गिरा सकती?"
“पुलिस को क्या जवाब देगी?"
“मेरे ब्वॉयफ्रेंड की नीयत आज बद हो गई थी। उसने मेरे साथ जबरदस्ती कर डाली मेरा शील उजाड़ डाला।”
"श...शील उजाड़ डाला?" वह सकपकाकर बोला। उसकी आंखें फैल गई थीं “कब शील उजाड़ डाला मैंने तेरा?"
“अभी। यहीं इसी बिस्तर पर।"
"म..मगर वह तो...वह तो...।"
"मेरे बूढ़े यार ने किया था।" वह हंसी निहायत ही कुटिल मुस्कराहट थी उसकी “यही कहना चाहता है न तू? लेकिन यह कौन बताएगा? तू तो हरगिज भी नहीं बताने वाला, क्योंकि तू कहां जिंदा रहेगा यह बताने के लिए। और क्योंकि उजड़ा तो सचमुच है मेरा शील, लिहाजा मेरा मेडिकल चैकअप झूठ क्यों बोलेगा। उसके बाद तू मेरी जान लेने का इरादा रखता था, क्योंकि मैं पुलिस के पास जाने वाली थी, इसलिए तूने मेरी जान लेने की कोशिश की। मेरा गला घोंट डालने में कसर नहीं छोड़ी। यह भी मेडिकल रिपोर्ट में तस्दीक होगी। मजबूरन मैंने तुझे शूट कर दिया आत्मरक्षा में, सेल्फ डिफेंस में, जिसका कि कानूनन हर किसी को हक होता है। मुझ जैसी हंगामाखेज हसीना को तो दोहरा हक होता है। नहीं?" वह फिर वही कमीनी हंसी, हंसी।
जतिन के होठों से बोल न फूटा।
वह भौंचक्का सा होकर संजना को देखने लगा था, जो उस वक्त उसे मादक अदाओं वाली हसीन गुड़िया नहीं, बल्कि शैतान की खाला नजर आ रही थी, जिसकी आंखों में मौत की परछाईया नाच रही थी।
जतिन की अपनी मौत की परछाईया।
“त...तू ऐसा नहीं कर सकती संजना।” जतिन के मुंह से निकला। एकाएक पासा पूरी तरह पलटा देख उसका सारा
आवेग खौफ में बदल गया था।