Thriller Sex Kahani - मिस्टर चैलेंज - Page 5 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Thriller Sex Kahani - मिस्टर चैलेंज

एम्बेसडर बैगमपुल जाने वाले मार्ग पर मुड़ी । मैंने थोड़ा फासला बनाये रखकर फालो किया । अब रफ्तार की न मुझे जरूरत थी , न ही उस गति से गाड़ी चला सकता था । रिक्शों . तांगों , साइकिलों , टैम्पू और भैसा बुग्गी आदि का बेतरतीय ट्रैफिक किसी को भी रफ्तार से ड्राइविंग नहीं करने दे सकता था । अब मेरी एक ही ड्यूटी धी ---- प्रिंसिपल को पता न लग पाये मैं उसके पीछे हूं । भरपूर सावधानी बरतता गुलमर्ग सिनेमा और बच्चा पार्फ के सामने से गुजरा । बेगमपुल के चौराहे से एम्बेसडर आबूलेन की तरफ मुड़ गयी । मैं पीछे लगा रहा । और फिर , एम्बेसडर एक बहुमंजिला इमारत के सामने रूकी ।

प्रिंसिपल बाहर निकला । गाड़ी लॉक की और इमारत में दाखिल हो गया । वह तनाव में नजर आ रहा था । उस इमारत की हर मंजिल पर ढेर सारे ऑफिस थे । जानता था . अगर एक वक्त के लिए भी वह आंखों से ओझल हो गया तो नहीं जान सकूँगा कि इमारत में किससे मिला ? क्या वात की ? अतः कार जहा थी , वहीं छोड़कर इमारत में दाखिल हो गया । वह लिफ्ट में दाखिल होता नजर आया । लिफ्ट का दरवाजा बंद हुआ । मैं दौड़कर उसके नजदीक पहुंचा । लिफ्ट एक ही थी । एक विचार आया ---- सीड़ियों के जरिए पीछा करने की कोशिश करूं । अगले पल मैंने यह मूर्खतापूर्ण विचार दिमाग से छिटका । नजरें लिफ्ट के दरवाजे के ऊपर गड़ाये रखीं । ऊपर की तरफ सफर करती लिफ्ट चौथी मंजिल पर रुकी । मैंने उसे ग्राउण्ड फ्लोर पर लाने के लिये बदन पुश किया । लिफ्ट ने नीचे आना शुरू कर दिया । कुछ देर बाद उसका दरवाजा खुला । अंदर दाखिल होते ही फोर्थ फ्तोर के लिए यात्रा शुरू कर दी । चौथी मंजिल पर लिफ्ट रुकी । दरवाजा खुला । मैं बाहर निकला ।

अगले दिन के अखवारों में हैडिंग था ---- कॉलिज की घटनाओं में नया मोड़ ! . वेद प्रकाश शर्मा का अपहरण ! इस हैडिंग ने मेरठ के लोगों और मेरे परिचितों में जो हंगामा मचाया सो तो मचा ही , मेरे परिवार की हालत सबसे ज्यादा खराब थी । मधु बार - बार कह रही थी ये सब मेरी वजह से हुआ है । मैंने ही उन्हें रियल स्टोरी लिखने के लिए उकसाया था । मै सोच भी नहीं सकती थी कि ऐसा होगा । जरूर हत्यारे के चंगुल में फंस गये हैं । फोन की घंटी बार - बार बज रही थी।

दृर - दूर से परिचितों और पाठकों के फोन आ रहे थे । उस गहन अंधकार में मधु को एक आशा की किरण नजर आई । विभा।

विभा जिन्दल और फिर फोन की घण्टी बजी । रिसीवर मेरी बड़ी बेटी करिश्मा ने उटाया । दूसरी तरफ से कहा गया ---- " मधु बहन हैं ? " " आप कौन ? " करिश्मा ने पूछा । “ जिन्दलपुरम से विभा जिन्दल । " मारे उत्साह के उछल पड़ी करिश्मा । वगैर माऊथीस पर हाथ रखे मधु को आवाज लगाकर बुलाया । मधु भागती दौड़ती फोन के नजदीक आई । करिश्मा के हाथ से रिसीयर छीना और बोली ---- " मधु बोल रही हूं विभा बहन , गजब हो गया । " "

हाँ , मैंने पेपर में पड़ा । " विभा की उत्तेजित आवाज उभरी ----
" कैसे हुआ ? "

" विभा बहन ! मैंने तो इनसे पहले ही कहा था आपको बुला लें मगर ये नहीं माने । " मधु बड़ी मुश्किल से खुद को फफकने से रोक रही थी ---- " मुसीबत की इस घड़ी में आप ही मेरी मदद कर सकती हैं । मेरठ आ जाइए । "

" मैं निकलने ही वाली थी । सोचा फोन करना मुनासिब होगा । क्या तुम कोई ऐसी बात बता सकती हो जो अखबार में न छपी हो ? " " अखबार पढ़ने का होश ही कहां है मुझे ! " " घबराने से काम नहीं चलेगा मधु बहन । होसला रखो । भगवान ने चाहा तो सब ठीक हो जायेगा । वेद अपना नया उपन्यास उन घटनाओं पर लिख रहा था । एक इन्वेस्टिगेटर की तरह पुछताछ करता फिर रहा था वह और इस्पैक्टर जैकी के हवाले से छपा है , मेरी इन्फ़ारमैशन के मुताबिक अंत में वेद जी ने प्रिंसिपल से पूछताछ की ।
 
कॉलिज के चौकीदार ने बताया , वह प्रिंसिपल की कार के पीछे निकले थे और वेद की मारुति आबूलेन नामक किसी इलाके में खड़ी मिली है । प्रिंसिपल का कहना है मुझे मालूम नहीं था वेद जी मेंरा पीछा कर रहे हैं । मैं आबूलेन गया जरूर लेफिन चाट खाकर लौट आया ! "

" हां " मधु ने कहा ---- ' ' यह सब मुझे जैकी ने बताया ।
" इसके अलावा कोई और इन्फारमैशन है तुम्हारे पास ? "
" कालिज में किसी ने उनकी पीठ पर एक कागज चिपकाया था । मुझे तभी से डर था कि .... " वह सब मै पढ़ चुकी हूँ । विभा ने मधु की बात बीच में काटकर कहा ---- " जो हुआ , उससे जाहिर है वेद की इन्वेस्टिगेशन ने मि ० चैलेंज को हिला डाला । तभी उसे अपहरण की जरूरत पड़ी । चिन्ता मत करना , मै आ रही हूं । बारह बजे तक पहुंच जाऊगी । " कहने के बाद दूसरी तरफ से रिसीवर रख दिया गया । उसके बाद शुरू हुआ ---- विभा का इंतजार !

इस वीच जैकी खामोश नहीं बैठा था । अपनी तरफ से मुझे तलाश करने की भरपूर कोशिश कर रहा था वह लेकिन प्रत्येक कोशिश वहां जाकर रुक जाती जहां मेरी गाड़ी खड़ी मिली थी । मधु चिंतित जरूर थी लेकिन हड़बड़ाहट पर नियंत्रण पा चुकी थी । विभा को पहुंचते - पहुंचते एक बज गया । जब वह घर पहुंची तो शुभचिन्तकों की भीड़ के साथ इंस्पैक्टर जैकी भी मौजूद था । अपनी चमचमाती हुई राल्स - रॉयल में आई थी वह ।

वह जिसका नाम " विभा ' है । विभा जिन्दल ! दुध से गोरे और पूर्णिमा के चांद से गोल मुखड़े वाली विभा ! इन्द्र के दरबार की मेनका सी विभा ! गुलाब की पंखुड़ियों से होंठ ! सुतवा नाक ! कंठ ऐसा जैसे कांच का बना हो । कोल्ड ड्रिंक पिये तो कंठ से नीचे उतरती साफ नजर आये । घने , काले और लम्ये वालों को अपने चीड़े मस्तक के आस - पास से पूरी सख्ती के साथ खींचकर एक जूड़ा बनाये रहता है वह ।

इसके बावजूद वालों को एक मोटी लट दायें कपोत पर अठखेलियां करती रहती है । कमान - सी भवों के नीचे उसकी आंखें हैं । सीप की मानिन्द ! मृगनयनी ! उन आंखों में चमक है । ऐसी दिव्य चमक कि अगर एकटक आपकी तरफ देखने लगे तो मेरी गारन्टी है दो सैकिण्ड से ज्यादा आप उसकी तरफ नहीं देख सकोगे । अपनी पलकें झुकानी पड़ेंगी आपको । दिल में घबराहट होने लगेगी ।

ईश्वर ही जाने विभा के व्यक्तित्व में उसने ऐसा क्या जादू भरा है कि उसकी तरफ देखने वाले प्रत्येक व्यक्ति की आखों में सिर्फ और सिर्फ श्रद्धा के भाव उभरते हैं । अथाह श्रद्धा के ! दिल रोशनी से भर जाता है । हमेशा की तरह इस वक्त भी वह अपने परम्परागत लिबास में थी । सुगठीत शरीर पर सफेद साड़ी । हंस के जिस्म - सी बेदाग। रेशमी।
उसी से मैच करता , गोल गले का ब्लाउज । गोरी और गोल कलाइयों में कोहनियों के ऊपर कटा हुआ ।
 
हर शख्स मंत्र - मुग्ध सा उसे देखता रह गया था । उसके व्यक्तित्व के जादू से लोग अभी बाहर नहीं निकल पाये थे कि मेरी बीच वाली बेटी गरिमा ने अंदर जाकर मधु को उसके आगमन की सूचना दी । मधु बाहर की तरफ लपकी और फिर , विभा के सामने पड़ते ही उससे लिपटकर सिसक पड़ी वह ।

" बाह मधु बहन । ' विभा के कंठ से मंदिर की घंटियों की घनघनाइट निकली ---- " ये भी कोई तरीका है मेहमान के स्वागत का ? वेद तो बड़ी तारीफ करता था तुम्हारी ? कहता था एक बार जो मेरे घर आता है , मधु की मेहमाननवाजी की तारीफ किये बगैर नहीं जाता ।

" मधु की सिसकियां रुलाई में तब्दील हो गयीं । “ विश्वास रखो बहन । वेद को कुछ नहीं हो सकता । मैंने तुम्हारे माथे की बिंदिया में हमेशा एक दिव्य ज्योति जगमगाती देखी है । विभा ने कहा ---- " आओ ! अंदर चलें ।
" करिश्मा - गरिमा ने मधु को विभा से अलग किया । सब लोग अंदर आ गये । लाबी में ! छोटी बेटी खुश्बू ने हाथ से सोफे की तरफ इशारा करके कहा ---- " बैठो आटी ! " विभा थोड़ी झुकी । खुश्बू के गाल पर एक चुम्बन अंकित किया । प्यार से उसे थपथपाती बोली ---- " अकेली नहीं खुश्बू बेटी ! मैं तुम्हारे पापा के साथ बैठकर चाय पियूगी । ' ' उसके वाक्य पर सब चौके । खुश्बू ने पूछा ---- " आपको मेरा नाम कैसे पता लगा आंटी ? " " अपने पैन से अपने हाथ पर लिखने की आदत छोड़ दो । ' विभा ने मोहक मुस्कान के साथ कहा ---- " बगैर तुम्हारे बताये कभी किसी को पता नहीं लगेगा । "

खुश्बू ने अपनी हथेली देखी । बोली ---- " पर आंटी , इस पर तो मैंने केवल K लिखा है । " " और ये बात हमें पहले से मालूम है कि हमारे फ्रेंड की छोटी बेटी का नाम खुश्बू है । "
" बैरी गुड । " शगुन यह उठा --... " झंड हो गई खुश्बू की । " विभा ने उससे कहा ---- " तुम मास्टर शगुन हो न ?
 
" आप विभा आंटी है न ? " शगुन ने पलटकर सवाल किया । ठहाका लगा उठी विभा । बोली ---- " तुम हो मेरी टक्कर के ! मिलाओ हाथ "
शगुन ने हाथ मिलाया ।
बच्चे तो खैर बच्चे थे । गमगीन माहौल में विभा का ठहाका लगाना सबको अजीब लगा । सब एक दूसरे की तरफ देखने लगे । विभा मधु के नजदीक पहुंची . फिर वहां मौजूद लोगों के लिए अणुबम से भी जबरदस्त धमाका किया उसने ---- " कमाल है मधु बहन ! मैं तुम्हारे लिए खुशखबरी लेकर आई और तुम मुंह लटकाये ख्ड़ी हो । "
" ख - सुशखबरी ?
" मधु के चेहरे पर चमक आई ।
" समझो कि मैं वेट को ढूंढ चुकी हूं । "
" क - क्या ? " अकेली मधु के नहीं , वहां मौजूद हर शख्स के हलक से आश्चर्य मिश्रित चीख निकल गयीं । मधु तो पागल हो गयी मानो । विभा को झंझोड़ती हुई चीख पड़ी वह ---- " य - ये क्या कह रही हो विभा बहन ? स - सच बोल रही हो म तुम ? मजाक तो नहीं कर रहीं मुझसे ? "
" ऐसा मजाक विभा जिन्दल कभी किसी से नहीं कर सकती । " " त - तो कहा है वो ? कैसे ? "
" फिक्र मत करो ! मेरे खयाल से उसे महफूज होना चाहिए । "
" मगर आंटी ! पापा हैं कहां ? " करिश्मा ने पूछा ।
उसको वगैर जवाब दिए कह जैकी की तरफ पलटकर बोली ---- " क्या तुम मेरा एक छोटा सा काम कर सकते हो मिस्टर जैकी ? " " काम तो आप जितने बतायेंगी मै कर दूंगा । " चेहरे पर हैरत का सागर लिए वह कहता चला गया ---- " म - मगर अभी अभी जो बात आपने कही . उसका मतलब समझ में नहीं आया । क्या आप वास्तव में वेद जी का पता लगा चुकी है ? "
" अभी ये तो पता नहीं लगा कि वह कहां है मगर अपहरण करने वाले को ट्रेस जरूर कर चुकी हूं । "
“ कि किसने ? " मधु ने पूछा ---- " किसने किडनैप किया उन्हें ? "
" उतावलेपन से काम मत लो मधु बहन । धैर्य बड़ी चीज है । "
सभी चमत्कृत रह गये थे । जैकी ने उन सबका नेतृत्व किया ---- " विभा जी , कमाल की बात कर रही हैं आप । आई हैं नहीं और कह रही हैं किडनैपर का पता लगा चुकी है । "
" कोन कह रहा है मै आई नहीं ? " विभा के होठों पर मोहक मुस्कान तैर रही थी ---- " तुम्हारे सामने आई हुई खडी हूं । "
" ल - लेकिन .... आपने पता कब लगा लिया कि ....

" एक घण्टा लेट आई हूँ । कोई तो बात होगी ? "
" फ - फिर भी "
मैं किसी छोटे से काम का जिक्र कर रही थी । "

"बोलिए । "
“ आबूलेन पर स्थित जिस इमारत के बाहर से वेद की कार मिली , मेरे ख्याल से उसमें कुल मिलाकर दो सौ के आसपास दुकानें और आफिस होंगे । क्या मुझे उन सबकी लिस्ट मिल सकती है ? "
" लिस्ट में क्या जानकारी चाहिए ? "
" कौन सा ऑफिस किस चीज का है और वहां क्या काम होता है ? "
" वामुश्किल एक घण्टे में लिस्ट मिल जायेगी । " " ये काम खुद करोगे या किसी से कराओगे ? " " जैसा आप चाहेंगी ।
" मुझ फौरन कहीं जाना है ! चाहती हूं साथ चलो । "
" अभी इन्तजाम किये देता हूँ । " कहने के साथ जैकी ने अपने सेल्यूलर से थाने का नम्बर डायल किया । एक सब - इंस्पेक्टर को वह करने का हुक्म दिया जो विभा चाहती थी । यह विभा के व्यक्तित्व और आते ही उसके द्वारा किये गये धमाके का जादू था कि इस्पैक्टर जैकी उसके मातहत की तरह काम करने लगा ।

सेल्यूलर आफ करते हुए उसने कहा ---- " मैं फ्री हूँ विभा जी । " " आओ ।
" वह दरवाजे की तरफ बढ़ी --- . " वेद को लेकर आते हैं । " मधु और दूसरे लोगों ने उसे रोकना चाहा । चाय नाश्ते के लिए कहा परन्तु विभा रुकने वाली कहां थी ? मधु से कहा ---- " मुझे चाय में चीनी नहीं , तुम्हारी मुस्कान की मिठास चाहिए और यह केवल तब मिल सकती है जब वेद साथ हो ! "

शगुन कूदकर विभा के सामने आता बोला ---- " आंटी , मैं चलूँ ? " एक सैकिण्ड कुछ सोचा विभा ने ! फिर होठो पर मुस्कान लाती बोली --- " जासूसी सीखनी है । " " यस " " कम ऑन ! "
रोल्स रायल वर्दीधारी शोफर ड्राइव कर रहा था । विभा और शगुन पीछे थे । जैकी शोफर की बगल वाली सीट पर । विभा शगुन से इस तरह बातें कर रही थी कि जैकी को लगा ---- उसे कोई टेंशन नहीं है । ऐसा विल्कुल नहीं लग रहा था जैसे बह किसी अपहरण के केस पर काम कर रही है । अपहरण भी उसका जो उसका दोस्त है । जिसकी खातिर जिन्दलपुरम से भागी - भागी मेरठ आई है । गाड़ी जब तेजगढ़ी के चौराहे पर पहुंची और शोफर ने रास्ता पूछने वाले अंदाज में जैका की तरफ देखा तो जैकी ने
गर्दन घुमाकर बिभा से सवाल किया। " हम जा कहाँ रहे है बिभा जी"
 
" वो बल्लम कहां है जिससे चन्द्रमोहन की हत्या हुई ? " विभा ने उल्टा सवाल पूछा ।

पुलिस के फिंगर प्रिन्ट्स डिपार्टमेन्ट के कब्जे में । "
“ वहीं चलो । " कहकर विभा पुनः शगुन के साथ खेल में लग गयी । जैकी के जहन में जबरदस्त खलबली मच चुकी थी । दिमाग में ढेर सारे सवाल सर्प बनकर सरसराने लगे । अंततः स्वयं को यह कहने से वह रोक न सका -.-- " बात समझ में नहीं आई विभा जी , वेद जी के गायब होने का बल्लम से क्या सम्बन्ध ? "

" बेचैन होने की जरूरत नहीं है । कुछ देर बाद सब समझ में आ जायेगा । मेरे ख्याल से बल्लम से भी चाकू की तरह किसी की अंगुलियों के निशान नहीं मिले होंगे । "
“ जी । " जैकी ने धाड़ - धाड़ बज रहे अपने दिल पर काबू पाने की चेष्टा करने के प्रयास में कहा ---- " लगता है हत्यारा गलब्स पहनफर वैपन इस्तेमाल करता है । "

" ग्लव्स इस्तेमाल करना कोई खास चतुराई नहीं है । आजकल की फिल्मों और वेद जैसे लेखकों के उपन्यासों ने लोगों को काफी शिक्षित कर दिया है । अखबार के मुताबिक कालिज के चौकीदार से हत्यारे की मुठभेड़ हो चुकी है । क्या कहना है उसका ? हेलमेट वाला दस्ताने पहने था या नहीं ? "
" सारी मैडम ! यह सवाल हमने नहीं किया । "

" सबसे बड़ी कभी यही होती है पुलिसियों में । दिमाग पर जोर नहीं देंगे । वह नहीं पूछेंगे जो पूछना चाहिए । उन सवालों पर जोर देंगे जिनके जवाब मिल भी जाये तो आगे बढ़ने में कोई मदद नहीं मिलती या फिर , थर्ड डिग्री पर जोर देंगे । ये बात तुम्हारी समझ में क्यों नहीं आती कि यदि दिमाग खुला रखकर सामने वाले को अपने सवालों से घेरो तो सामने वाला किसी भी तरह कतराकर नहीं निकल सकता । उससे वे बाते उगलवा सकते हो जो तुम लोगों के फेमस थर्ड डिग्री तरीके से नहीं जानी जा सकती ।

जैकी ---- जो वकौल अपने , थर्ड डिग्री का धुरंधर था , कुछ बोल न सका । शायद अपनी झेप मिटाने के लिये पूछा ---- " आपने वाकई किडनैपर का पता लगा लिया है या घर पर मधु भाभी को सांत्वना देने की खातिर .... "

किसी को झूठी सांत्वना नहीं दिया करती जैकी । "
" आपने तो चमत्कृत कर दिया है मुझे । इतनी जल्दी किडनैपर का पता कैसे लगा लिया ? "
" आदमी दिमाग की आंखें खुली रखे तो सफलता जल्दी मिलती है । "
" लगता है आपसे कुछ सीखने को मिलेगा ! "

" मुझे खुशी है तुममें सीखने की भावना है । "

" उस इमारत में मौजूद दुकानें और आफिसों की लिस्ट का क्या करेंगी आप ? काफी दिमाग घुमाने के बावजूद नहीं समझ पाया कि उससे वेद जी तक पहुंचने में क्या मदद मिल सकती है ?
 
पक्का नहीं है मदद मिल ही जाये । मगर उम्मीद है । एक अच्छे इन्वेस्टिगेटर को हर वह काम करना चाहिए जिससे आगे वढ़ने का रास्ता मिलने की संभावना हो ।

वैसे तुमने सब - इंस्पैक्टर से कह दिया न कि लिस्ट बनते ही सैल पर सूचित करे । "
" जी ! कर दिया था ।
“ समझदारी की । " कहने के साथ विभा मुस्कराई ।
राल्स रॉयल जेल चुंगी के चौराहे पर पहुंच चुकी थी ।
शोफर ने पूछा ---- " किधर साहब ? "
" सीधे । " जैकी ने कहा ।
विभा बोली ---- ' " फिलहाल अपना दिमाग शोफर को रास्ता बताने में खर्च करो । यह हेडेक जहन में रखने की जरूरत नहीं कि केस कैसे हल होगा ? बस यूं समझो केस मै हल कर चुकी हूं । "
" आंटी ! " शगुन ने कहा ---- " आप जादूगरनी है क्या ? "
बरबस ही खिलखिलाकर हंस पड़ी विभा । बोली ---- " शैतान ! तुम्हें ऐसा क्यों लगा ? "

" कल से पता नहीं कितने लोग पापा का पता लगाने में जुटे हैं । भागदौड़ मची हुई है मगर पता नहीं लगकर दे रहा ! और जब आप आई है , एक ही बात कहे जा रही है ---- यह कि आपको पता है पापा कहां है । कहीं आप ही ने तो नहीं छुपा रखा उन्हें ? " शगुन का अंतिम वाक्य सुनकर ठहाका लगाकर हंस पड़ी विभा ।

" और ये बेद - वेद ! पापा के लिए आप बोलती कैसे है ? इस तरह तो मम्मी भी नहीं बोलतीं । "

हंसती हुई विभा ने कहा ---- " यही तो फर्क है पत्नी और फ्रेन्ड में । "
" तुम्हारी क्लास में कोई लड़की है ? "
"बहुत है।"
" कौन - कौन ? "
" श्वेता ! मंजरी । काजोल ! रुचि और .... "

सबके नाम क्यों ले रहे हो ? "
" और कैसे बताऊ ? वे मेरी दोस्त हैं । "
" उसी तरह वेद मेरा दोस्त है । दोस्तों के नाम ही लिये जाते हैं । "
" अच्छा ! ये बात है । तब तो पापा भी आपको सिर्फ विभा कहते होंगे ? "
" नहीं तो क्या तेरी तरह आंटी कहेगा ?

इस बार शगुन खिलखिलाकर हंस पड़ा । " बड़ा वेवाक । बड़ा पवित्र । और सभी औपचारिकताओं से दूर है ये रिश्ता ----

दोस्तो ! तभी तो अपनी पढ़ाई के आखिरी दिन मैंने वेद से कहा था कोई और नाम देकर इस रिश्ते को कलंकित मत करो । और मुझे खुशी है बेद ने उसे निभाया । आज कोई तो है जिसे मै पूरी बेबाकी के साथ नाम लेकर पुकार सकती हूं । कोई तो है जिसका नाम जितनी ज्यादा बदतमीजी के साथ लूँ उतना ही अपनापन छलकेगा ।

दोस्तों को कभी मत खोना बेटे । बड़े होने के बाद ये नहीं मिल पाते । दुर्लभ हो जाते हैं । जो मिलता है , चेहरे पर लाख - लाख मुखौटे लगाकर मिलता है । "
" अरे ! आप तो सीरियस हो गई आंटी । " मटका सा लगा विभा को । खुद को संभाला उसने । रॉल्स - रोयल एक इमारत की चारदीवारी के अंदर दाखिल होकर जैकी के बताये स्थान पर रुकी ।
विभा ने कहा ---- " हम लोग यही बैठे हैं । तुम बल्लम ले आओ । " जैकी यह सोचता हुआ उतरा कि खेल आखिर चल क्या रहा है ?
 
राल्स रोयल कॉलिज में दाखिल हुई । सेल्यूलर बजने लगा । जैकी उसे ऑन करने की प्रक्रिया में जुट गया । विभा ने कहा ---- " सब- इंस्पैक्टर का फोन हो तो कहना लिस्ट लेकर प्रिंसिपल के बंगले पर पहुंच जाये ।

फोन उसी का था और जैकी ने यही कहा जो विभा चाहती थी । गाड़ी बंगले के पोर्च में खड़ी एम्बेसडर के पीछे रुकी । जैकी ने पूछा ---- " क्या प्रिंसिपल ही किडनैपर है ? "
" तेल देखो और तेल की धार देखो । " कहने के साथ विभा शोफर द्वारा खोले गये गेट से बाहर निकली ।
जैकी ने पूछा ----- " वल्लम लेना है क्या ?

" गाड़ी में रहने दो । " कहने के साथ उसने शोफर की आंखों से कुछ संकेत किया । अगला गेट खोलकर जैकी बाहर निकला ।
" आंटी । " शगुन ने पुछा ---- " आपने ड्राइवर अंकल को क्या इशारा किया ? "
" चुप शैतान । " विभा ने अपना हाथ उसके मुंह पर रख दिया । ड्राइबर होठो ही होंठों में मुस्कुरा उठा ।
ड्राइंगरूम में जब जैकी ने वंसल को विभा का परिचय दिया तो वह बोला ---- " आपसे मिलकर बहुत खुशी हुई ! वैठिए । " विभा एक सोफा चेयर पर बैठ गयी।

बंसल ने पूछा --- " क्या लेंगी ? "
" आपसे अपने सवालों के जवाब । " सकपकाया बंसल । बोला ---- ' ' काफी अजीब हादसा हुआ ! और यही क्यों ? बड़ी - बड़ी भयानक घटनायें घट रही हैं । हमने तो पिछली मुलाकात में मिस्टर जैकी से कहा भी ---- इनके लिए यह केस , अनेक केसों में से एक हो सकता है मगर हमारे कैरियर पर तो धब्बा बन गया है । हमसे ज्यादा ईमानदारी के साथ और कोई नहीं चाह सकता कि हत्यारा जल्द से जल्द पकड़ा जाये । अब आप आ गयी हैं । जितना आपके बारे में सुना है . ईश्वर करे वह सच हो । हम अपने दामन पर कोई धब्बा लिए रिटायर नहीं होना चाहते । "
" मेरे बारे में आपने किससे क्या सुना है ? " " आपके सामने मिस्टर जैकी ने बताया । "

" वस ? " विभा निरन्तर उसकी आखों में झांक रही थी ---- " इतना ही सुना है या कुछ ज्यादा ?
"आंखे चुराने की कोशिश करते बंसल ने कहा ---- " इ - इतना ही । "

"वो उतना नहीं था जिसके आधार पर मुझसे यह उम्मीद बांध ले कि मैं आपको आपके करियर पर लगे धब्बे से निजात दिला सकती हूं । यकीनन आपने कहीं और भी जाकर मेरे बारे में कुछ सुना है । "
" कहीं और भला किससे सुनते ? "
" मुमकिन है वेद ने कहा हो ! बहरहाल , दोस्त है मेरा । "
" नहीं । " बंसल एक्स्ट्रा एलर्ट नजर आया। ---- " वेद जी ने तो आपका नाम भी नहीं लिया । "
" सुना है अंतिम बातचीत उसने आप ही से की थी ? "
" हां । इस संबंध में मिटर जैकी हमसे पूछताछ कर चुके हैं । इन्होंने बताया वेद जी ने आबूलेन तक हमारा पीछा किया था । हमने तो ध्यान ही नहीं दिया । आबुलेन चाट खाने गये थे , खाकर आ गये ।
“ वो सब बाद में । विभा ने कहा ---- " सबसे पहले यह बताइए , वेद ने आपसे क्या बातें की ? "
" इंस्पैक्टर को बता चुके हैं । " " और वो सब अखबारों में भी छपा है । अखबार मैंने पढे हैं । " बगैर किसी कठोरता के विभा एक - एक शब्द नाप तोलकर बोल रही धी ---- " इसके बादजूद आपसे पूछ रही हूं तो कोई वजह जरूर होगी । क्या कहता है आपका दिमाग ? वजह होगी या नहीं ? "
" होगी । "
" क्यों ? "
" क्या कर सकते है ? "
" नहीं कह सकते तो बता दीजिए ---- क्या बात हुई थी ?
 
प्रिसिंपन खुद को काफी असुविधा में महसूस कर रहा था । लहजे को संतुलित रखने की भरसक चेष्टा के साथ प्रारम्भिक वातें सब - सच बताने के बाद कहा ---- " अचानक वेद जी ने बातों का रुख मोड़ दिया । बल्कि मोड़ देना भी क्या कहें , सीधे - सीधे हमें ही हत्यारा कहने लगे । "
" किस बेस पर ? "
" एक ऊटपटांग काल्पनिक स्टोरी बना बैठे थे ।

" मै उसे सुनना चाहती हूं ।
" प्रिंसिपल एक ही सांस में बता गया ।
" बाकई । " सुनने के बाद विभा ने कहा ---- " निहायत की घटिया और अविवेकपूर्ण स्टोरी तैयार की थी वेद ने और अखबार के मुताबिक उसमें तुम भी शामिल हो इंस्पैक्टर । मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि तुम और वेद ! दोनों मृर्ख हो । "

" म -मै समझा नहीं । " जैकी बौखला गया । " तुम्हारे मुताबिक सत्या की हत्या हत्यारे ने पेपर की वजह से की और चन्द्रमोहन को इसलिए मार डाला क्योंकि वह हत्यारे का राज जान गया था और फोन पर तुम्हें बताने वाला था । "
" इसमें क्या गलत है ? "
" वेद की पीठ से बरामद कागज पर लिखे शब्दों का क्या मतलब निकाला तुमने ? "
" यह कि अभी वह और हत्यायें करना चाहता है । "
" करेक्ट ! यही मतलब है उसका । और अगर यही मतलब है तो नतीजा ये कैसे निकलता है कि वह अपना राज जानने वालों के मर्डर कर रहा है ? क्या उसकी नजर में कुछ और लोग हैं जो उसका राज जानते हैं ? यदि हां , तो धमका क्यों रहा है उन्हें ? खत्म क्यों नहीं कर देता ? इतना मौका क्यों दे रहा है कि उसके राज को वे किसी और को भी बता सके ? नहीं जैकी ---- हत्याओं की वजह यह नहीं है जो तुम और वेद समझे । अपना राज जानने वालों की हत्या हत्यारा चैलेंज देकर नहीं करता ---- बल्कि जल्द से जल्द मार डालना चाहता है ताकि उसका भेद और ज्यादा लोगों को पता न लग सके । "
" आपके ख्याल से दूसरी क्या वजह हो सकती है ? "

"चैलेंज देकर हत्यायें वही करता है जिसकी हिट लिस्ट पहले से तैयार हो अर्थात् जिसने पक्का इरादा कर लिया हो फला - फला लोगों को मौत के घाट उतारना है । कारण अनेक हो सकते हैं । मगर ये तय है ---- यह काम है किसी इरादे के पक्के आदमी का । उसकी हिट लिस्ट में अभी और लोग है और यकीनन वे , वे नहीं हो सकते जिनके द्वारा उसे अपना भेद खुलने का डर हो बल्कि ये होंगे जिन्हें किसी न किसी कारण से वह मार ही डालना चाहता है । "

जैकी को क्रॉस करने के लिए तर्क न मिला । विभा की बातें सुनकर प्रिंसिपल की आंखों में चमक उभर आई थी । वह चमक विभा की पैनी नजरों से न छुप सकी । गुलाबी होठों पर हल्की सी मुस्कान लाती बोली ---- " मेरे विचार जानकर आपको कुछ खास ही खुशी हुई बंसल साहब । "
" वेद जी ने जिस थ्योरी के आधार पर मुझे हत्यारा बना दिया था उसकी धज्जियाँ उड़ते देखकर मुझे खुशी नहीं होगी तो किसे होगी।

आप वाकई जीनियस है विभा जी ।
" जब वेद आपको हत्यारा ठहरा चुका , उसके बाद क्या हुआ ?
" उसकी बात पर ध्यान दिए बगैर विभा ने सवाल किया ।
" होना क्या था ? हमने साफ - साफ कहा कल्पनाओं के सुबूत नहीं होते । " आप इस स्टोरी के सुबूत इकट्ठा नहीं कर सकते । स्टोरी काल्पनिक है और
" उसके बाद ? "
" वो सुबुत इकट्ठा करने की धमकी देकर चले गये । "
“ गलत । " विभा ने पूरी दृढ़ता के साथ कहा ---- " आप झूठ बोल रहे हैं । रील काट रहे हैं ।
" क - क्या मतलब ? " बौखलाहट सी हावी होती नजर आई प्रिसिपल पर ।
" अच्छी तरह सोचकर बताइए : क्या वेद के जाने और इन बातों के बीच और कुछ नहीं हुआ ? "
" क - क्या होता ? "
" आपको बताना है । "
" क - कुछ नहीं हुआ । "
" मै एक मौका और देती हूं प्रिंसिपल साहब । "

शब्दों से लग रहा था वह चेतावनी दे रही है लेकिन फेस पर ऐसा कोई भाव नहीं था । अपनी सदावहार सौम्य मुस्कान के साथ वह कहती चली जा रही थी --- " या तो बता दीजिए अन्यथा मुझे वताना होगा । "
" क - कहना क्या चाहती हैं आप ? " आतंक की ज्यादती के कारण वह चिल्ला उठा ---- " क्या हुआ था ? हो भी क्या सकता था ? आप बता सकती है तो बता क्यों नहीं देती ? हमसे क्या पूछ रही है ? "
 
हड़वड़ाई हुई निर्मला ड्राइंगरूम में दाखिल हुई । प्रिंसिपल की तरफ लपकती बोली ---- " आप चीख क्यों रहे हैं ? बात क्या है ?

" विभा से पूछा-- " आप कौन है ? "

" बार - बार एक ही बात रिपीट करके बिभा जिन्दल नाम की ये शख्स पता नहीं कहना क्या चाहती है ? "
कभी उत्तेजित न होने वाला बंसल झूठ पकड़ा जाने के खौफ से अपने आपा खो चुका था ---- " कहती है वेद जी के हमें हत्यारा कहने और . उनके जाने के बीच यहां कुछ हुआ था । धमकी दे रही है । हम नहीं बतायेंगे तो खुद बता देंगी । अजीब धमकी है । ये वजह डराना चाहती हैं हमें पता नहीं हमारे मुंह से क्या सुनने की ख्वाहिशमंद है । "
" वह । " विभा अब भी मुस्कुरा रही थी ---- " जो मिसेज बंसल ने आपके कान में कहा था ?

" और जैसे जादू हो गया । बंसल ही नहीं , निर्मला भी पत्थर की स्टैब्यू में बदल गयी ।

जैकी ने बुरी तरह हैरान होकर विभा की तरफ देखा । उस विभा की तरफ जिसके फेस पर किसी किस्म की सख्ती का भाव नहीं था । फिर उसने वंसल और निर्मला नाम के स्टैच्युओं की तरफ देखा ---- जो किसी अंजाने जादू के प्रभाव से पीले पडते जा रहे थे । चेहरे निस्तेज ! निर्जीव राख की मानिन्द ! पलकें तक झपकाना भूल गये थे वे , विभा अपने स्थान से उठी । चहलकदमी करती बोली ---- वेद ने पूछा ---- क्या बात है ?
आपने कहा ---- हमारी कोई घरेलू प्राब्लम है ।
वेद को यकीन नहीं आया । आप दोनों में झड़प हुई । वेद झड़प के बाद यहां से ......

" अ - आप तो यूं बता रही है जैसे उस वक्त यहीं कहीं थी ? " बंसल के होठ हिले । चेहरे पर आश्चर्य की पराकाष्टा लिए जैकी ने विभा की तरफ देखा । विभा ने बंसल के नजदीक ठिठकते हुए कहा- " मैं उस वक्त जिन्दलपुरम में थी । वेद इसी कमरे में था । वह नहीं सुन सका मिसेज बंसल ने आपके कानों में क्या कहा ---- मगर वो आवाज जिन्दलपुरम में मेरे कानों तक पहुंच गयी थी । इजाजत दें तो फरमाऊं ।
" चीख सी निकल गयी बंसल के हलक से ---- " अ - आप यह भी बता सकती है ?
"ऑफकोर्स"
हैरान और पस्त बंसल ने कहा ---- " बताइए । "

" यानी आप कुछ बताने के मूड में नहीं है ? "
" अब तो यू कह लो , हम यह देखना चाहते हैं कि एक शख्शियत कितने चमत्कार दिखा सकती है ।
" तभी बंगले के बाहर मोटर साइकिल की आवाज आई । विभा ने कहा ---- " तुम्हारा सब - इंस्पैक्टर आ गया लगता है जैकी । "

किसी के जवाब देने से पहले सब - इंस्पेक्टर ड्राइंगरूम में दाखिल हुआ । उसके द्वारा तैयार की गई लिस्ट विभा के हाथ में पहुंची । विभा ने उसे देखना शुरू किया । देखते ही देखते आंखों में दिव्य ज्योति सी चमकी । चुटकी बजाकर कह उठी -- " अब मै दावे के साथ कह सकती हूं मिस्टर बंसल , आबूलेन पर आपने चाट नहीं खाई । "
" पता नहीं आप क्या देखकर क्या जान जाती है ? " इसी सवाल का जवाब जैकी लिस्ट में ढूंढने की कोशिश कर रहा था । लिस्ट अब उसके हाथ में थी मगर लाख सिर खपाने के बावजूद नहीं जान पाया था कि इससे ये बात कैसे पता लग सकती है कि बंसल आबूलेन चाट खाने गया था या कुछ और करने ?

उसने विभा की तरफ सचमुच ऐसे अंदाज में देखा जैसे जादूगरनी को देख रहा हो । विभा ने सब - इंस्पैक्टर से पूछा ---- " क्या मेरा शोफर बाहर है ? " " प्लीज ! उसे बुला दीजिए ।

सब - इंस्पैक्टर उसके जरखरीद गुलाम की तरह बाहर चला गया । बंसल ने कहा ---- " आप कान वाली बात बताने वाली थी ..... "

“ सोच रही हूं क्यों न वह बात आपके बेडरूम में चलकर बताई जाये ? "
" व - बेडरूम में ? " बंसल और निर्मला एकदम उछल पड़े ।
चेहरों पर जलजला लिये एक - दूसरे की तरफ देखा उन्होंने । ' सब - इंस्पेक्टर और शोफर अंदर दाखिल हुए ।

आंखों ही आंखों में शोफर और विभा की बातें हुइ विभा ने बंसल से -- " इजाजत हो तो अंदर चले।

" जैसी मर्जी । बंसल ने हथियार डालने वाले अंदाज में कहा ।
 
बेडरूम कॉफी बड़ा था । बेड के अलावा एक सोफा सेट और ड्रेसिंग टेबल अति सलीके से रखी थी ।

" अरे ! " बेड के पीछे वाली दीवार पर नजर पड़ते ही जैकी उछल पड़ा -.-- " विभा जी , वैसे ही बल्लम ! "
उससे भी बुरी तरह चौंके बंसल दम्पत्ति ।
विभा के होठो पर चित्ताकर्षक मुस्कान थी । वेड के ठीक पीछे वाली दीवार पर दो बल्लम एक दूसरे को क्रास करते हुये लगाये गये थे । उनके बीच सजी थी एक चौड़ी ढाल। चेहरे पर हैरत के असीमित भाव लिये निर्मला ने बंसल से कहा ---- " ये क्या जादू हो रहा है ? दूसरा वल्लम कहां से आया ?

" बंसल ने विभा की तरफ देखते हुए कहा --- " इन्हीं की कारस्तानी लगती है । "
" क्या बताने की जरूरत रह गया कि मिसेज बंसल ने आपके कान में क्या कहा था ? "
" नहीं " बंसल पस्त हो चुका था ।
जैकी कह उठा ---- " आखिर मामला क्या है ? मुझे भी तो कुछ समझाइए विभा जी । " " मिसेज बंसल ने प्रिंसिपल साहब के कान में कहा था वेडरूम से एक बल्लम गायब है । सुनते ही प्रिंसिपल साहब की हवा शंट होनी थी ! हुई । क्योंकि ये जानते थे कि चन्द्रमोहन की हत्या बल्लम से की गयी है । करेला नीम चढ़ा इसलिए बन गया क्योंकि ठीक उसी समय ड्राइंगरूम में वैठा वेद इन्हें कातिल बता रहा था । यह सोचफर इनकी हालत खस्ता हो गयी कि यदि वेद को वल्लम के बारे में पता चल गया तो वह तुमसे कहकर इन्हें हथकड़ी लगवा देगा । उस अवस्था में वेद को ये बल्लम के बारे में न बता सकते थे , न बताया । "
" लेकिन ये बातें आपको कब और कैसे पता लग गयी ? "
विभा ने शोफर को इशारा किया ।

शोफर कमरे में पड़े सोफे के पीछे पहुंचा और किसी भारी वस्तु को खींचकर निकालने का प्रयास करने लगा । वस्तु बाहर आई तो जैकी ने देखा ---- यह एक बड़ा शख्म था । बंसल के मुंह से निकला -.- " अरे ! रामदीन ?
ये तो सब्जी लेने गया था । "
" वहां हमने पकड़ लिया । " विभा ने बताया ---- " जो कुछ हुआ था , इसके मुंह से वह उगलवाने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी । "
" लेकिन ये आपने किया कब ? " जैकी ने पूछा । " अखवार में साफ - साफ लिखा था और मधु बहन को फोन करके मैंने पुष्टि भी कर ली थी । वेद अंतिम बार प्रिंसिपल साहब के साथ देखा गया तथा उसके बाद इनका पीछा करता आबूलेन पहुंचा । इतना सुनना यह समझने के लिए काफी था कि यकीनन वेद और प्रिंसिपल साहब के बीच और भी बात हुई थी जिसके कारण वेद को पीछा करना पड़ा । पीछा करता हुआ ही यह गायब हो गया ।

अतः जिन्दलपुरम से सीधी यहां आई । उस वक्त रामदीन सब्जी लेने निकला था । मैंने सीधे प्रिंसिपल से बात करने से बेहतर रामदीन से बात करना समझा । पुराना नौकर घर का भेदिया होता है । वही हुआ । मौका देखकर मेरे इशारे पर शोफर ने इसे सड़क से गाड़ी में खींच लिया ।

इसे बताना पड़ा इनका वेद से क्या बातें हुइ और वेद के जाने के बाद पति - पत्नी के बीच क्या बात हुई ? वे बातें बल्लम के बारे में थीं । प्रिंसिपल साहब मिसेज बंसल से वार - बार कह रहे थे ---- बल्लम गायब होने की बात हमारे कान में कहकर तुमने समझदारी दिखाई । इस लेखक के बच्चे को तो पहले से ही हम पर शक है । बल्लम के बारे में भनक लग जाती तो तत्काल फांसी पर चढ़ा देता । "
" लेकिन इस मुसीबत से निकलेंगे कैसे ? " मिसेज बंसल ने पूछा ।
" यही सोच रहे है । दिमाग पर जोर डालते हुए प्रिंसिपल साहब ने कहा ---- इसके बाद इन्होंने क्या फैसला किया - यह रामदीन न सुन सका । रामदीन से जहां मुझे इतनी बातें पता लगी वहां यह भी पता लग गया कि वास्तव में चन्द्रमोहन की हत्या इन्होंने नहीं की । ये बेचारे तो खुद बल्लम के गायब होने से परेशान थे । " विभा की बातें सुनकर बंसल दम्पति ने राहत की सांस ली । वंसल ने पुछा---- " लेकिन बल्लम पुनः यहां कैसे आ गया ? " " रामदीन और बल्लम को हमारे शोफर ने ठीक उस वक्त किचन लॉन में खुलने वाली खिड़की के जरिए यहां पहुंचाया जिस वक्त मिसेज बंसल भी ड्राइंगरूम में पहुंच चुकी थीं । आपको मैंने उत्तेजित ही इसलिए किया था कि आप चीखने चिल्लाने लगे और मिसेज बंसल वहां पहुंच जायें । बहरहाल , अपने शोफर को रास्ता तो क्लियर देना ही था । उसके बाद मैं बातों को थोड़ा लम्बा खिंचकर समय गुजारती रही ताकि शोफर काम पूरा करके वापस गाड़ी पर पहुंच जाये ।

यहां आने की बात हमने तभी कही जब सब - इंस्पैक्टर से शोफर के बाहर होने की पुष्टि कर ली । "
" हद है । " जैकी बोला --- " आपने सारा काम इतने योजनाबद्ध तरीके से किया , हमारे सामने किया और हमें इल्म तक नहीं हो पाया ? "
" तुम दिमाग के खिड़की - दरवाजे बंद रखते हो जैकी , इसलिए नहीं जान पाये । वरना सोचते , हम बल्लम साथ क्यों लाये और फिर उसे गाड़ी में छोड़ने की क्या तुक हुई ? "
" रामदीन कहाँ था हमारे पास ? "
" गाड़ी की डिक्की में।
"ओह"

" आओ , आबूलेन चलते हैं । " विभा ने कहा
 
Back
Top